jaipur: भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) ने प्रिंट, टीवी और डिजिटल माध्यमों के कुल 5,532 विज्ञापनों की जांच की, जो पिछले साल की तुलना में 62 फीसदी अधिक हैं। इस संस्था ने 7,631 शिकायतों की भी जांच की है, जो पिछले साल की तुलना में 25 फीसदी अधिक हैं। इन शिकायतों में से 75 फीसदी इस नियामक संस्था की खुद की एआई आधारित ट्रैकिंग प्रणाली से स्वत: ही दर्ज की गई हैं। पिछले साल एएससीआई के इन्फ्लूएंसर दिशानिर्देश जारी होने के बाद कुल शिकायतों में उपभोक्ता शिकायतों का हिस्सा 21 फीसदी रहा, जिसमें 186.5 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है।
परिषद ने अप्रैल 2021 से मार्च 2022 की अवधि के लिए अपनी सालाना शिकायत रिपोर्ट मंगलवार को जारी की।
हालांकि प्रिंट और टीवी केंद्र में बने रहे, लेकिन जांच होने वाले 5,532 विज्ञापनों में 48 फीसदी डिजिटल माध्यम के रहे क्योंकि क्रिप्टो, गेमिंग और ई-कॉमर्स जैसी श्रेणियों की मदद से यह माध्यम केंद्र बिंदु बनता जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक उल्लंघन करने वाले तीन क्षेत्र शिक्षा (33 फीसदी), स्वास्थ्य (16 फीसदी) और पर्सनल केयर (11 फीसदी) रहे। इस बीच 8 फीसदी शिकायतें क्रिप्टो एवं गेमिंग जैसी नई श्रेणियों और खाद्य एवं पेय क्षेत्र से आईं। शिक्षा क्षेत्र में उल्लंघन करने वाले विज्ञापनों के उदाहरण ‘नंबर 1’ होने का दावा करना या निश्चित अंक का वादा करना हैं।
इस नियामक संस्था ने कहा कि एएससीआई के पास आईं कुल विज्ञापन शिकायतों में 29 फीसदी इन्फ्लूएंसर से संबंधित थीं। इनमें शीर्ष श्रेणियां क्रिप्टो (24.16 फीसदी), पर्सनल केयर (23.2 फीसदी) और फैशन (16.3 फीसदी) रहीं। एएससीआई की सीईओ और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, ‘इन्फ्लूएंसर भी जिम्मेदार विज्ञापन के विचार से खुद को बदल रहे हैं।’