नई दिल्ली। देशभर में महामारी का रूप धारण कर चुके कोरोना वायरस संक्रमण के बीच केंद्र सरकार कुछ बैंकों में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है। इसके तहत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अधिकारियों से कम से कम चार सरकारी बैंकों में सार्वजनिक हिस्सेदारी कम करने की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है। उनसे कहा गया है कि इस प्रक्रिया को इसी वित्त वर्ष में पूरा किया जाना चाहिए। मामले की जानकारी रखने वाले दो अधिकारियों ने यह बात कही है।
ये बैंक हैं शामिल
सूत्रों के मुताबिक इन बैंकों में पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं। इन बैंकों में सरकार की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष होल्डिंग्स के जरिए बहुलांश हिस्सेदारी है। सरकार बैंकिंग प्रक्रिया में व्यापक बदलाव करना चाहती है। वह बैंक तथा सरकारी कंपनियों का निजीकरण करके बजटीय खर्च के लिए फंड जुटाना चाहती है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है जिससे कर राजस्व में भारी गिरावट आई है।
हो चुकी है निजीकरण की प्रक्रिया शुरू
एक सरकारी सूत्र मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय में इसी महीने वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखकर इन बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया को इसी वित्त वर्ष में पूरी करने को कहा है। उन्होंने कहा कि बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। इसके लिए कुछ सलाह-मशविरा हो चुका है।
प्रधानमंत्री कार्यालय और बैंकों ने नहीं दी प्रतिक्रिया
इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय और बैंकों ने तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जबकि वित्त मंत्रालय ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जो समयसीमा रखी है, वह बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। सरकार की मंशा देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटाकर 5 करने की है। अभी देश में आईडीबीआई के अलावा एक दर्जन बैंक हैं। आईडीबीआई में सरकार की 47.11 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि एलआईसी की हिस्सेदारी 51 फीसदी है।