जयपुर। राज्य की सबसे बड़ी खनन कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचसीएल) (Hindustan Zinc) द्वारा रॉयल्टी चोरी (royalty theft) की जांच में राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय (एसडीआरआई) को बड़ी सफलता मिली है। कम्पनी द्वारा राजस्थान में लेड-जिंक के उत्खनन के लिए रामपुरा, आगुंचा (भीलवाड़ा), सिंदेसर खुर्द, राजपुरा दरीबा (राजसमन्द), जावर (उदयपुर) एवं कायड़ (अजमेर) स्थित पांच खानों का संचालन किया जा रहा है। इनमें लेड-जिंक के अतिरिक्त सिल्वर एवं कैडमियम भी उपउत्पाद (बाई प्रॉडक्ट) के रूप में प्राप्त होते हैं।
कंपनी ने बाईप्रोडक्ट की जानकारी छिपाई
एमएमडीआर, 1957 के अधिनियम के अन्तर्गत खननकर्ता कम्पनी को उत्खनन से प्राप्त खनिज एवं उससे प्राप्त बाई प्रॉडक्ट की घोषणा केन्द्र सरकार के विभाग भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) एवं राज्य सरकार के विभाग खान एवं भू-विज्ञान विभाग (Mines department) को करनी होती है। एसडीआरआई में दर्ज स्वप्रेरित प्रकरण की जांच में पता चला कि कई वर्षों से कम्पनी बाई प्रॉडक्ट के रूप में प्राप्त होने वाले चांदी एवं कैडमियम की सही मात्रा राज्य सरकार को सूचित नहीं कर रही थी। इसमें राज्य सरकार को रॉयल्टी की लगभग 2500 करोड़ रुपए की राजस्व हानि सम्भावित है।
जांच में आकंड़ों में एकरूपता का अभाव
एसडीआरआई ने वर्ष 2012-13 से वर्ष 2017-18 तक के एचसीएल के उत्पादन के आंकड़ों का मिलान किया। जांच में आकंड़ों में एकरूपता का अभाव मिला। एचसीएल द्वारा खान एवं भू-विज्ञान विभाग को जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए वो आईबीएम को प्रस्तुत किए गए आकड़ों से मात्रा में कम हैं। चूंकि एचसीएल द्वारा उत्खनित खनिजों पर रॉयल्टी राज्य सरकार द्वारा वसूल की जाती है। राज्य सरकार को रॉयल्टी के रूप में चांदी से प्राप्त होने वाली राजस्व की भारी हानि हो रही है।