मुंबई: रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव से भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों में आज तेज गिरावट दर्ज की गई। दोनों देशों के बीच युद्घ के बढ़ते खतरे को देखते हुए निवेशकों ने जोखिम वाली संपत्तियों की जमकर बिकवाली की, जिससे सेंसेक्स 3 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गया। ब्रेंट क्रूड के दाम 96 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गए, जो सात साल में इसके सबसे अधिक दाम हैं। इससे कंपनियों के मुनाफे और वृहद आर्थिक परिदृश्य पर असर पडऩे की आशंका है। रूस पर अमेरिकी पाबंदियां लगने के डर से दूसरी जिंसों के भाव भी चढ़ गए हैं, जिससे मुद्रास्फीति में और तेजी आने की आशंका है। इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 1 फीसदी तक इजाफा किए जाने की संभावना है। इन सब बातों का निवेशकों के मनोबल पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
निवेशकों के कमजोर हौसले के बीच बेंचमार्क सेंसेक्स 1,747 अंक टूटकर 56,406 पर बंद हुआ, जो 21 दिसंबर, 2021 के बाद इसका सबसे कम स्तर है। निफ्टी भी 532 अंक या 3.1 फीसदी की गिरावट के साथ 16,843 पर बंद हुआ। निफ्टी 50 में एक शेयर को छोड़कर सभी गिरावट पर बंद हुए। दोनों सूचकांकों में 12 अप्रैल, 2021 के बाद एक दिन में आई यह सबसे बड़ी और पिछले एक साल की तीसरी सबसे बड़ी गिरावट है। बीएसई पर 3,000 से ज्यादा शेयर नुकसान में बंद हुए और 550 ही लाभ में रहे।
शेयर बाजार में गिरावट का असर भारतीय मुद्रा पर भी पड़ा। डॉलर के मुकाबले रुपये में 22 पैसे की नरमी आई। कारोबार के दौरान 75.64 का निचला स्तर छूने के बाद रुपया 75.60 पर बंद हुआ। शुक्रवार को रुपया 75.38 पर बंद हुआ था। बाजार में उतार-चढ़ाव का अंदाजा देने वाला इंडिया वीआईएक्स सूचकांक भी 23 फीसदी तक चढ़ गया, जो निवेशकों में घबराहट का संकेत देता है। पिछले हफ्ते तक रूस और यूक्रेन के बीच तनाव को वित्तीय बाजार के लिए ज्यादा जोखिम नहीं माना जा रहा था। मगर युद्घ के आसन्न खतरे की अमेरिकी चेतावनी के बाद दुनिया भर के बाजारों में घबराहट बढ़ी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से कहा कि अमेरिका रूस की सैन्य कार्रवाई का आक्रामक तरीके से जवाब देगा। हालांकि रूस लगातार कह रहा है कि पड़ोसी देश पर हमला करने की उसकी योजना नहीं है।