मुंबई। वर्ष 2010 से 2017 के बीच भारतीय बैंकों (Indian Banks) से कई संदिग्ध लेनदेन का पता चला है। इनके बारे में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग (US Treasury Department) के वित्त अपराध प्रवर्तन नेटवर्क (Finance Crimes Enforcement Network) (फिनसेन) (Finsen) द्वारा उच्च स्तरीय गोपनीय ‘संदिग्ध गतिविधि रिपोट्र्स’ या एसएआर में चेताया गया था। इसके तहत धनशोधन, आंतकवाद, ड्रग्स से जुड़े सौदे और वित्तीय धोखाधड़ी का संदेह जताया जाता है। ये लेनदेन 2 लाख करोड़ डॉलर के संदिग्ध हस्तांतरण का हिस्सा हैं, जिसके बारे में शीर्ष अमेरिकी प्राधिकरण ने फिनसेन सूची में चेताया था।
संदिग्ध लेनदेन के बारे में चेताया
इंटरनैशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (International Consortium of Investigative Journalism) (आईसीआईजे) ने इसकी जानकारी हासिल की थी, जिसमें 1999 से 2017 के बीच वैश्विक स्तर पर लेनदेन का पता चलता है। इसके एक हिस्से को कंसोर्टियम ने अपनी वेबसाइट पर जारी किया था। भारत के लगभग सभी प्रमुख बैंकों – सार्वजनिक, निजी और विदेश्ी बैंकों में इस तरह के लेनदेन किए गए हैं। बैंकरों का कहना है कि उन्होंने खुद संदिग्ध लेनदेन के बारे में चेताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और संबंधित प्राधिकरणों को इसकी जानकारी दी थी। इसी वजह से उनके नाम फिनसेन सूची में आए हैं।
अमेरिकी प्राधिकरण ने बताया संदिग्ध
यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि इन लेनदेन में किसी तरह की धोखाधड़ी या अनैतिक गतिविधियों का साक्ष्य नहीं मिला है, लेकिन अमेरिकी प्राधिकरण ने इन्हें संदिग्ध बताया है। बैंकरों के मुताबिक इसकी संभावना है कि वैश्विक बैंकिंग नियामकों द्वारा संदिग्ध लेनदेन के खिलाफ समन्वित लड़ाई के लिए दी गई लेनदेन की जानकारी को फिनसेन सूची में जोड़ा गया होगा।
18,153 लेनदेन में 35 अरब डॉलर की राशि ट्रैक
आईसीआईजे ने अब तक 18,153 लेनदेन में कुल 35 अरब डॉलर की राशि को ट्रैक किया है जिनमें रकम भेजने वाले और लाभार्थी बैंकों के बीच संबंध का पता चला है। ये लेनदेन 2000 से 2017 के बीच किए गए थे। भारत के मामले में फिनसेन ने अब तक 406 लेनदेन में प्रेषक और प्राप्तकर्ता के बीच संबंधों का पता लगाया है जिनमें देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक सहित लगभग सभी प्रमुख बैंक शामिल हैं।