नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने देश में अनुबंधित (ठेका) श्रमिक प्रणाली (Indentured labor) को उदार बनाने के लिए शनिवार को संसद में श्रम संहिता पेश की, जिसके तहत कंपनियों को ऐसे श्रमिकों को नियुक्त करने की आजादी होगी।
ठेके पर श्रमिक नियुक्त करने की सुविधा
पेशेवर सुरक्षा स्वास्थ्य एवं कामकाज की स्थिति (ओएसएच) संहिता विधेयक, 2020 के तहत कंपनियों को ठेके पर श्रमिक नियुक्त करने की सुविधा होगी। हालांकि इसमें कारखाने के संचालन में मुख्य और गैर-मुख्य गतिविधियों की अवधारणा को शामिल किया गया है। विधेयक में ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को ठेका श्रमिक कानून के दायरे से बाहर करने के लिए फर्मों के आकार की सीमा भी बढ़ाने का प्रावधान है।
ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त कर सकते
ठेका श्रमिक छंटनी और श्रम संगठन कानून के दायरे से बाहर होते हैं। ऐसे में इस तरह की व्यवस्था कारोबार के लिए अच्छी पहल है। औद्योगिक संबंध विधेयक संहिता, 2020 में प्रावधान है कि उद्योग अपनी जरूरत के हिसाब से नियत अवधि के लिए ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त कर सकते हैं और इसमें किसी क्षेत्र या उद्योग को लेकर कोई पांबदी नहीं है और न ही इसमें ठेकेदार को शामिल करने की जरूरत है।
नियुक्त करने की अवधि तय नहीं की
सरकार ने ऐसे श्रमिकों को नियुक्त करने की अवधि तय नहीं की है और न ही उसके नवीकरण का ही कोई प्रावधान है। चीन और वियतनाम जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में भी इसी तरह के नियम हैं। सरकार ने कंपनियों के मौजूदा श्रमबल को नियत अवधि वाले श्रमिकों में तब्दील करने के प्रस्ताव को भी नामंजूर कर दिया है।
स्थायी समिति की सिफारिशों को स्वीकार
प्रस्तावित ओएसएच संहिता में कहा गया है कि ‘किसी भी प्रतिष्ठान में मुख्य गतिविधियों के लिए ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त करना प्रतिबंधित है।’ मुख्य गतिविधि उसे कहा गया है जिसके मकसद के लिए प्रतिष्ठान स्थापित किया गया है और ऐसी कोई भी गतिविधि जो आवश्यक है। लेकिन साफ-सफाई, सुरक्षा सेवा, कैंटीन, बागवानी, हाउस कीपिंग आदि को मुख्य गतिविधि नहीं माना जाएगा, अगर संबंधित प्रतिष्ठान का यह मुख्य कारोबार न हो। श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली श्रम पर संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।