मुंबई. महिंद्रा ने जब 2011 में कोरियाई वाहन विनिर्माता सांगयोंग का अधिग्रहण किया था तब कहा गया था कि इससे कंपनी को यूटिलिटी वाहन क्षेत्र में दक्षता के साथ वैश्विक बाजार में कारोबार विस्तार में मदद मिलेगी। सांगयोंग के दिवालिया होने, श्रमिक संगठनों की समस्या आदि के साथ महिंद्रा ने इसे अपनाया था और आठ साल बाद कंपनी ने इसकी कमजोरियों और ताकत की पहचान कर इसके कायाकल्प का खाका खींचा। 2015 में कंपनी ने कॉम्पैक्ट एसयूवी सांगयोंग टिवोली को बाजार में उतारा जिसकी2016 में डेढ़ लाख वाहनों की बिक्री हुई जो कंपनी की कुल बिक्री का करीब आधा रही। अब महिंद्रा ने टिवोली पर आधारित एक्सयूवी 300 को बाजार में उतारा है जिसकी कीमत 8 लाख रुपये से शुरू है। महिंद्रा समूह के प्रबंध निदेशक पवन गोयनका ने कहा कि महिंद्रा कॉम्पैक्ट एसयूवी क्षेत्र में सर्वाधिक बिक्री वाले वाहन की लंबे समय से तलाश कर रही है लेकिन इसमें उसे अब तक सफलता नहीं मिल पाई है। बीते समय में कंपनी ने टीयूवी 300, क्वांटो, नूवो स्पोर्ट, केयूवी 100, मराजो और अल्टूरा जैसी कई कारें बाजार में उतारी हैं लेकिन इनमें से किसी की भी बिक्री दमदार नहीं रही। पिछले वित्त वर्ष में टीयूवी 300 की 29018 कारें बिकीं, वहीं केयूवी 100 की 25452 कारें और क्वांटो की महज 254 कारें ही बिकीं। दूसरी ओर मारुति सुजूकी ब्रेजा नाम से कॉम्पैक्ट एसयूवी लेकर आई थी जिसकी तीन साल में चार लाख कारों की बिक्री हो चुकी है। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में यूवी श्रेणी की बिक्री 21 फीसदी बढ़ी है लेकिन महिंद्रा की बिक्री इस दौरान लगभग स्थिर रही। बाजार हिस्सेदारी में भी महिंद्रा को नुकसान हो रहा है।2011 में एसयूवी श्रेणी में महिंद्रा की बाजार हिस्सेदारी50 फीसदी थी जो 2015 में 40 फीसदी से कम रह गई और पिछले साल घटकर 25 फीसदी पर आ गई। सिटी एसयूवी के साथ ही पेट्रोल वाहनों की कमी के कारण महिंद्रा की बिक्री प्रभावित हो रही है।
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