jaipur. 2019 में लॉन्च किया गया, इंडिया असिस्ट, जो पेटेंटेड एवं भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त शोकेस स्टार्टअप है, अब सभी स्वदेशी एवं अन्तर्राष्ट्रीय यात्रियों को विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान करने के लिए टैªवल असिस्टेन्स सर्विसेज़ के रूप में बी2बी अवतार में फिर से लौट रहा है, जो होटलों, ट्रैवल एजेंट्स एवं एयरलाईन्स को कनेक्ट करते हुए यात्रियों को अपनी सेवाएं प्रदान करेगा। दो सालों के दौरान महमारी के चलते बहुत से कारोबारांे को अपने प्रोडक्ट्स एवं सेवाओं में बदलाव लाना पड़ा। टेकनोलॉजी स्टार्ट-अप्स भी अलग नहीं हैं।
इंडिया असिस्ट एक ऐसा ऐप्लीकेशन है, जिसे भारत आने वाले विदेशी यात्रियों के लिए डिज़ाइन किया गया था, जिन्हें यात्रा के दौरान किसी आपातकालीन सहायता (मेडिकल, चोरी आदि) या अन्य सहायता (जैसे भोजन, खरीददारी आदि) की ज़रूरत पड़ती थी। 2019 में लॉन्च की गई इस सर्विस को महामारी के चलते संकट
का सामना करना पड़ा, जब अन्तर्राष्ट्रीय यात्रा पूरी तरह से रुक गई थी। किंतु सही मायनों में भारतीय कंपनी होने के नाते इंडिया असिस्ट नहीं रुका और मार्च 2020 में महामारी के दौरान विभिन्न गंतव्यों में फंसें 3000 से अधिक विदेशी पर्यटकों को मुफ्त सेवाएं प्रदान करता रहा।’’ इंडिया असिस्ट के संस्थापक हरीश खत्री ने बताया।
एफडीआई के साथ कई वादों के साथ सिलिकॉन वैली से इस टैªवल स्टार्ट-अप की शुरूआत की गई, और अब न्यू नॉर्मल के दौर में घरेलू यात्रा के लिए प्रासंगिक बनाने हेतु इसमें बदलाव लाए गए हैं। ‘‘विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर हमने भारत और नेपाल के 60 से अधिक शहरों में अपनी सेवाओं का लॉन्च किया और 2022 के अंत तक भारत के 100 से अधिक शहरों में हमारे मौजूदगी होगी।’’ खत्री ने बताया। उन्होंने कहा कि उनके अनुसार भारत के बड़े आकार को देखते हुए यहां घरेलु बाज़ार के लिए बी 2 बी मॉडल सबसे प्रासंगिक है। उन्होंने बताया कि यात्रा सेगमेन्ट से जुड़े विभिन्न हितधारक जैसे एयरलाईन्स, होटल, परिवहन सेवा प्रदाता आदि इस तरह से काम करते हैं कि यात्रियों को किसी भी आपदा की स्थिति में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जैसे उन्हें बैगेज खो जाने पर या चिकित्सकीय आपदा या सुरक्षा से जुड़ी परेशनियों का सामना करना पड़ता हैं। हम सिस्टम में मौजूद इन खामियों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं और हर किसी के लिए स्थितियों को अनुकूल बनाना चाहते हैं। हम किसी के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं बल्कि आपसी तालमेल में काम करते हुए सिस्टम को मजबूत बनाना चाहते हैं।