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कैशलेस इलाज पर आईआरडीए की गाज

मुंबई. सबको हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए। सरकार इसी सोच को ध्यान में रखते हुए आयुष्मान भारत योजना लागू करने जा रही है। लेकिन अब हेल्थ इंश्योरेंस के सबसे बड़े फायदे पर ग्रहण लग गया है। जी हां, कैशलेस इलाज की सुविधा जुलाई के बाद खतरे में पड़ जाएगी। अगले महीने देश के हजारों अस्पतालों में इंश्योरेंस के जरिए कैशलेस इलाज की सुविधा खत्म हो सकती है। वजह है बीमा रेगुलेटर आईएरडीए का जुलाई 2016 का नोटिफिकेशन जिसमें अस्पतालों से कहा गया है कि 2 साल के भीतर नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स यानि एनएबीएच से मान्यता लें नहीं  कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं दे पाएंगे। अब जो अस्पताल 31 जुलाई तक एनएबीएच का एक्रिडिशन नहीं ले पाएंगे उनमें कैशलेस इलाज बंद होगा। अब तक करीब 700 अस्पताल ही ये एंट्री लेवल एक्रीडिटेशन हासिल कर पाए हैं। जबकि करीब 600 अस्पातलों के पास पहले से मान्यता है। चूकि आयुष्मान भारत योजना भी कैशलेस मेडिकल इंश्योरेंश पर आधारित है आयुष्मान भारत हेल्थ प्रोटेक्टक्शन मिशन की तरफ से आईआरडीए को चिठ्ठी लिखकर नियमों में ढील देने की मांग की गई है। वहीं दूसरी तरफ डॉक्टरों का एक धड़ा ऐसा भी है जो ऐसे अस्पतालों को आयुष्मान भारत के दायरे में लाने के खिलाफ नजर आ रहा है जिनके पास एनएबीएच एक्रीडेएशन नहीं है। वजह गुणवत्ता की प्रमाण गुणवत्ता है। आयुष्मान भारत का भविष्य इसी से समझा जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में कुल 3 एनएबीएच प्रमाणित अस्पताल हैं। लेकिन समस्या सिर्फ आयुष्मान भारत की नहीं आपकी भी है, क्योंकि अब आपके कैशलेस इलाज के लिए भी इने-गिने अस्पताल ही बच जाएंगे।

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