नई दिल्ली। परिधान, मोबाइल उपकरण विनिर्माण, रसायन और सीमेंट उद्योग 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन में आंशिक छूट की उम्मीदों के बीच अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। हालांकि वाहन जैसे क्षेत्रों का कहना है कि शुरू में विनिर्माण क्षमता केवल 25 प्रतिशत तक सीमित रखने की शर्त के साथ उनके लिए काम करना अव्यवहारिक होगा।
वस्त्र, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स कर सकती काम
उद्योग संवद्र्धन एवं औद्योगिक व्यापार विभाग ने कुछ दिनों पहले गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था, जिसमें लॉकडाउन धीरे-धीरे हटाने की रूप-रेखा का जिक्र किया गया था। विभाग ने आवश्यक सेवाओं के साथ ही दूसरी खंडों को भी कारोबार शुरू करने की अनुमति दिए जाने की सिफारिश की थी। विभाग ने कहा था कि वस्त्र, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों की बड़ी कंपनियां शुरुआत में एक पाली में 20-25 प्रतिशत कार्य क्षमता के साथ काम कर सकती हैं।
कंपनियों को उत्पादन में भी है दिक्कतें
वाहन कल-पुर्जे बनाने वाली कंपनी निप्पॉन पेंट्स इंडिया का कहना है कि 25 प्रतिशत उत्पादन क्षमता के साथ काम करने से संयंत्र चलाने का खर्चा भी नहीं निकल पाएगा। कंपनी में अध्यक्ष (ऑटोमोटिव रीफिनिशेस ऐंड वुड कोटिंग्स) शरद मल्होत्रा कहते हैं, ‘एक संयंत्र चलाने के लिए हमें करीब 60 प्रतिशत क्षमता के साथ काम करना होता है और उसमें भी सारी कटौती करने के बाद बचत काफी रह जाती है। हालांकि एक बार संयंत्र शुरू करने की इजाजत मिलने के बाद हम सबसे पहले निर्यात सौदे पूरे करने की कोशिश करेंगे।’