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अप्रैल से फरवरी में भारत का स्मार्टफोन निर्यात 54 प्रतिशत बढ़ा, पहुंचा 21 बिलियन डॉलर के पार

नई दिल्ली। लेटेस्ट इंडस्ट्री डेटा के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-फरवरी) के 11 महीनों में भारत का स्मार्टफोन निर्यात 1.75 लाख करोड़ रुपये (21 अरब डॉलर) के आंकड़े को पार कर गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि के आंकड़े से 54 प्रतिशत अधिक है।

 

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि उन्हें उम्मीद है 2024-25 के दौरान स्मार्टफोन निर्यात 20 अरब डॉलर (1.68 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा, लेकिन इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के 11 महीनों में ही यह आंकड़ा अनुमान के पार पहुंच चुका है।

 

स्मार्टफोन के नेतृत्व में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान निर्यात में हाल के वर्षों में तेजी आई है, जिसका श्रेय सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को जाता है, जिसने एप्पल और उसके सप्लायर्स जैसी विदेशी टेक कंपनियों को आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की है।

 

पीएलआई योजना ने निर्यात को बढ़ावा दिया है और आयात को कम किया है, क्योंकि घरेलू उत्पादन अब घरेलू मांग का 99 प्रतिशत पूरा करता है।

 

तमिलनाडु स्थित फॉक्सकॉन प्लांट के साथ एप्पल के आईफोन सप्लाई चेन द्वारा लगभग 70 प्रतिशत निर्यात में योगदान दिया गया, जो विदेशी शिपमेंट का लगभग 50 प्रतिशत है।

 

फॉक्सकॉन कारखाने से निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई।

 

बाकी का 22 प्रतिशत निर्यात आईफोन विक्रेता टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स से आया, जिसने कर्नाटक में विस्ट्रॉन स्मार्टफोन निर्माण कारखाने का अधिग्रहण किया है।

 

निर्यात का 12 प्रतिशत तमिलनाडु स्थित पेगाट्रॉन संयंत्र से आया, जिसमें टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने जनवरी के अंत में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की थी।

 

दो ताइवानी कंपनियों के अधिग्रहण के साथ, टाटा समूह देश में आईफोन का एक प्रमुख उत्पादक बनकर उभरा है। दक्षिण कोरियाई टेक दिग्गज सैमसंग ने भारत से कुल स्मार्टफोन निर्यात में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान दिया।

 

संसद में पेश की गई लेटेस्ट जानकारी के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए पीएलआई ने दिसंबर 2024 तक 10,213 करोड़ रुपये का संचयी निवेश आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की है, जिससे 1.37 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं और देश के निर्यात को बढ़ावा मिला है।

 

विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत, 662,247 करोड़ रुपये का संचयी उत्पादन हासिल किया गया है।

 

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने हाल ही में संसद को बताया कि, “इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नीतियों के कारण, भारत 2014-15 में मोबाइल आयातक देश से अब मोबाइल फोन निर्यातक देश बन गया है।”

 

पीएलआई योजना के कारण, मोबाइल फोन का उत्पादन 2014-15 में लगभग 60 मिलियन मोबाइल फोन से बढ़कर 2023-24 में लगभग 330 मिलियन मोबाइल फोन हो गया है। यह पिछले 10 वर्षों में निर्मित मोबाइल फोन की संख्या में 5 गुना से अधिक की वृद्धि है।

 

मूल्य को लेकर मोबाइल फोन का उत्पादन 2014-15 में मात्र 19,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 422,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो 41 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ रहा है।

 

बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए पीएलआई योजना की शुरुआत के बाद से, मोबाइल फोन निर्यात 2020-21 में 22,868 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 129,074 करोड़ रुपये हो गया है, जो 78 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ रहा है।

 

इसके अलावा, जहां 2015 में भारत में बिकने वाले सभी मोबाइल फोन का 74 प्रतिशत आयात किया गया था, वहीं अब भारत में इस्तेमाल किए जा रहे 99.2 प्रतिशत मोबाइल हैंडसेट भारत में ही बनाए जाते हैं।

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