जयपुर। संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधियों ने भारत के नए सूचना-प्रौद्योगिकी नियम, 2021 (New Information Technology Rules 2021) के प्रावधानों पर चिंता जताई है। प्रतिनिधियों ने भारत सरकार (twitter and indian government) को इस संबंध में पत्र लिखा है जिसमें नए नियमों पर पुनर्विचार करने और सभी संबंधित पक्षों से बातचीत करने का आग्रह किया गया है। पत्र में कहा गया है, ‘नए कानून में उपयोगकर्ताओं द्वारा लिखी या डाली गई सामग्री हटाने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया कंपनियों पर डाल दी गई है, जो चिंता की बात है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आंच
हमें लगता है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आंच आएगी। कंपनियां किसी तरह के झमेले में फंसने से बचने के लिए इन निर्देशों का पालन करेंगी और इस चक्कर में वाजिब सामग्री भी हट जाएंगी।’ पत्र में कहा गया है कि नए आईटी नियम निजता के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कानून एवं मानकों का पालन नहीं करते हैं।
25 मई से ये प्रभावी हो गए नए आईटी नियम
सरकार ने नए आईटी नियम (New Information Technology Rules 2021) इस वर्ष 25 फरवरी को अधिसूचित किए थे और 25 मई से ये प्रभावी हो गए हैं। नए नियमों के बाद सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच विवाद खड़ा हो गया है और मामला न्यायालय तक पहुंच गया। नए नियमों के अनुसार सोशल मीडिया कंपनियों खासकर मेसेजिंग सर्विस देने वाली इकाइयों को आपत्तिजनक सामग्री भेजने वाले मूल व्यक्ति या स्रोत का पता करना होगा और इसके लिए आवश्यक व्यवस्था करनी होगी। सोशल मीडिया मध्यस्थों को मुख्य अनुपालन अधिकारी की भी नियुक्ति करनी होगी, जिन पर नए नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी।
नए आईटी नियमों की संसद में समीक्षा नहीं हुई
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि नए आईटी नियमों की संसद में समीक्षा नहीं हुई और न ही इन पर संबंधित पक्षों के साथ ही चर्चा की गई। 11 जून को लिखे इस पत्र में कहा गया है, ‘हम भारत सरकार से इन नियमों की विस्तृत समीक्षा करने का आग्रह करते हैं। सरकार को नागरिक समाज के लोगों के साथ सभी संबंधित पक्षों के साथ निए नियमों पर मशविरा करना चाहिए। नए नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाने के लिए विस्तृत चर्चा जरूरी है।’