जयपुर। देश के नए सोशल मीडिया नियमों के अनुपालन की समय सीमा मंगलवार को समाप्त हो गई लेकिन इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं आ पाई है कि भारत में इन कंपनियों का भविष्य क्या होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया मध्यवर्ती संस्थाओं की अर्हता रखने वाली कंपनियों को मौजूदा कानून के तहत मिलने वाला संरक्षण समाप्त हो सकता है।
महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यवर्ती
सरकार की ओर से भविष्य के किसी कदम के बारे में जानकारी न दिए जाने के कारण कंपनियां भी अंधेरे में हैं कि उनके लिए क्या बदलाव आने वाले हैं। गत 25 फरवरी को प्रकाशित सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के अनुसार एक महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यवर्ती को एक मुख्य अनुपालन अधिकारी, एक प्रमुख संपर्क व्यक्ति की नियुक्ति करनी है ताकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ हर समय समन्वय किया जा सके।
स्थानीय शिकायत अधिकारी की नियुक्ति भी
एक स्थानीय शिकायत अधिकारी की नियुक्ति भी होनी है। इसके अलावा इन मध्यवर्तियों को किसी भी ऐसी दिक्कतदेह सामग्री को सबसे पहले प्रकाशित या प्रसारित करने वाले की पहचान में सक्षम होना होगा जो देश के हितों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम हो। इसके अलावा भी कई नियमों की घोषणा की गई है।
50 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं वाली कंपनी को महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया
परिभाषा के अनुसार 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं वाली कंपनी को महत्त्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यवर्ती माना गया। खबरों में कहा गया था कि 25 मई की समयसीमा बीतने के साथ ही इनका दर्जा समाप्त हो सकता है।
नए नियमों का अनुपालन नहीं करती
विधि सेवा फर्म इंडसलॉ की साझेदार श्रेया सूरी कहती हैं, ‘हां, सोशल मीडिया कंपनियां अगर 2021 में बने नए नियमों का अनुपालन नहीं करती हैं तो वे नियम 7 के तहत मध्यवर्ती का दर्जा गंवा सकती हैं। ऐसे में ये कंपनियां सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79(1) के तहत मिलने वाले संरक्षण का लाभ गंवा देंगी। इस लाभ के तहत इन मध्यवर्तियों को अपने मंच पर प्रसारित या प्रकाशित तीसरे पक्ष की किसी जानकारी, डेटा या संचार लिंक की जवाबदेही से निजात मिलती है।’