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बिहार में आम पर मौसम की मार, मंजर के बाद टिकोले हो रहे नष्ट

पटना:  बिहार में आम की पैदावार इस बार कम होने की संभावना जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि पहले ठंड ज्यादा दिनों तक रहने के कारण मंजर देर से आए और अब अचानक तापमान में वृद्धि तथा कुछ इलाकों में तेज आंधी के कारण टिकोले नष्ट हो रहे या गिर गए। किसानों का कहना है कि कुछ इलाकों में कीट भी टिकोले को प्रभावित कर रहे हैं। कई जिलों में आम के मंजर सूखकर काले हो गए हैं। उत्पादक मान रहे हैं कि तापमान अधिक होने से ऐसा हो रहा है। वहीं कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मंजर पर कीट का प्रकोप है जो रस को चूस लेता है। इससे वह खोखला हो जाता है और धूप लगने पर रंग काला पड़ जाता है। ऐसे मंजर में फल नहीं लगते।

डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के मुख्य वैज्ञानिक (पौधा रोग) डॉ. एस.के.सिंह कहते हैं कि इस वर्ष इस समय बिहार में आम के फल मटर के बराबर या उससे बड़े हो गए हैं। पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा जिले के आम उत्पादक किसान आम के छोटे फलों में फ्रूट ब्रोरर यानी फल छेदक कीट के व्यापक आक्रमण से बहुत परेशान हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्ष से भारी वर्षा एवं वातावरण में अत्यधिक नमी होने की वजह से इस कीट का व्यापक प्रकोप देखा जा रहा है। यदि समय से इस कीट का प्रबंधन नहीं किया गया तो भारी नुकसान होने की संभावना है।

ये कीड़ा लार्वा के रूप में दो सटे हुए आम के फलों पर लगता है। आम का जो भाग सटा हुआ होता है उसी पर लगता है। शुरूआत में ये आम के फल पर काला धब्बा जैसा दाग डाल देता है। यदि समय से इसकी रोकथाम नहीं की गई तो ये फल को छेद कर अंदर से सड़ा देता है, जो कुछ ही दिनों में गिर जाता है। इस रेड बैंडेड मैंगो कैटरपिलर भी कहते हैं।

रेड बैंडेड मैंगो कैटरपिलर एशिया के उष्णकटिबंधीय भागों में आम का एक महत्वपूर्ण कीट है। उन्होंने बताया कि भारत में इस कीट से 10 से 50 प्रतिशत के बीच हानि का आकलन किया गया है। यह कीट, आम के लिए एक गंभीर खतरा है।

इस कीट को आम का फल छेदक (बोरर), लाल पट्टी वाला छेदक (बोरर), आम का गुठली छेदक ( बोरर) नामों से जाना जाता है।

रेड बैंडेड मैंगो कैटरपिलर आम के फलने के मौसम और सबसे अधिक आम के फल में गुठली बनाने के दौरान की एक बहुत बड़ी समस्या है। यहां तक कि छोटे फल (गुठली बनने की पूर्व अवस्था), हरे फल को भी संक्रमित कर सकता है। फल आम के पेड़ का एकमात्र हिस्सा है जो इस कीट से प्रभावित होता है।

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