नई दिल्ली. भारत में सोने के आयात में आगामी वर्षों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। ऐसा विशेष रूप से घरेलू इस्तेमाल के लिए आयातित सोने में होगा। आगामी वर्षों में रिफाइंड सोने का आयात बंद हो सकता है। यह रुझान पहले ही शुरू हो चुका है क्योंकि घरेलू स्तर पर रिफाइंड होने वाले सोने की मात्रा लगातार बढ़ रही है। देश में सोने की औसत सालाना खपत करीब 800 से 900 टन है और पिछले कुछ वर्षों से आयात 750 टन से 900 टन के बीच बना हुआ है। भारतीय सराफा उद्योग से लंबे समय से जुड़े रहे और एमएमटीसी-पैंप्स बुलियन रिफाइनरी के मानद चेयरमैन राजेश खोसला ने कहा कि अगले 3 से 5 साल में भारत रिफाइंड सोने का आयात बंद कर देगा और सोने के घरेलू रिफाइनर रिफाइंड सोने की आपूर्ति करेंगे। इस आपूर्ति किए जाने वाले सोने में आयातित डोर से रिफाइंड किया गया सोना, रिसाइकल किया हुआ सोना और मुद्रीकरण योजना के जरिये एकत्रित सोना शामिल होंगे। देश में तब 100 से 150 टन सोने के खनन का भी अनुमान है। यह आयातित रिफाइंड सोने की जगह लेगा। खोसला इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित छठे भारत अंतरराष्ट्रीय सराफा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में भारत का रिफाइंड सोने का आयात 479 टन था जिसमें मूल्य संवर्धन के बाद फिर से निर्यात करने के लिए आयातित सोना भी शामिल था। हालांकि आभूषणों और निवेश के लिए सोने की कुल मांग 760 टन रही। आयातित डोर में रिफाइन सोना 275 टन, रिसाइकल सोना 87 टन और खनन से प्राप्त सोना 8.6 टन था। विशेषज्ञों ने कहा कि फिर से निर्यात करने में इस्तेमाल सोने को अलग कर देते हैं तो वर्ष 2018 में 50 फीसदी से अधिक घरेलू मांग घरेलू रिफाइनरियों द्वारा रिफाइन सोने से पूरी हुई। इन घरेलू रिफाइनरियों ने आयातित डोर का इस्तेमाल किया था। हालांकि खोसला तो भारत में रिफाइन सोने की मात्रा बढऩे की बहुत उम्मीदें हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार नई स्वर्ण नीति के तहत सोने के खनन को मंजूरी देगी। इस नीति को चालू वर्ष के अंत तक लागू किए जाने के आसार हैं। सम्मेलन में ज्यादातर प्रतिभागियों ने ने उम्मीद जताई कि अगर सरकार देश में सोने के खनन को मंजूरी दे देगी तो 100 से 150 टन सोने का उत्पादन संभव है। अगले तीन से पांच वर्षों के दौरान स्वर्ण मुद्रीकरण योजना तेजी पकड़ सकती है। इसके बाद रिफाइंड सोने का आयात केवल निर्यात की जरूरत पूरी करने के लिए ही होगा क्योंकि एलबीएमए प्रमाणित रिफाइनरियों का सोना ही वैश्विक बाजारों में स्वीकार किया जाता है और भारत में ऐसी केवल एक रिफाइनरी है। हालांकि रिफाइनिंग उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि अगले दो वर्ष में तीन और रिफाइनरियों को एलबीएमए से मान्यता मिलने की संभावना है। इससे रिफाइंड सोने का आयात घटाने में मदद मिलेगी। पहले ही चांदी की 3 रिफाइनरी और एक प्लेटिनम रिफाइनरी को एलबीएमए से मान्यता मिल चुकी है। भारत में हर साल 160 टन सोने की मांग निवेश और सिक्कों के लिए आती है। विशेषज्ञों ने कहा कि डिजिटल सोने का रुझान मजबूती पकड़ रहा है और सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों की मांग को देखते हुए सोने की भौतिक मांग में काफी कमी आने की संभावना है। इससे आयात में भी कमी आएगी।
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