आयातित खाद्य तेल 3 से 4 फीसदी होंगे महंगे
सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बीवी मेहता ने बताया कि डॉलर की मजबूती से खाद्य तेलों का आयात 3 से 4 फीसदी महंगा हो जायेगा। उन्होंने बताया कि चालू तेल वर्ष (नवंबर-18 से अक्टूबर-19) मेंअगस्त से अक्टूबर तक 36 से 40 लाख टन खाद्य तेल आयात होने का अनुमान है। इनकी अनुमानित कीमत 24,000 से25,000 करोड़ रुपये बैठेगी। चालू तेल वर्ष में करीब 150 लाख टन का खाद्य तेलों का आयात होने का
अनुमान है। हालांकि मलेशिया और इंडोनेशिया में पॉम तेल का स्टॉक ज्यादा है, घरेलू बाजार में भी तिलहन खासकर के सरसों का स्टॉक ज्यादा है। इसलिए खाद्य तेलों की कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है।
खाद्य तेलों का आयात 5 फीसदी हो चुका है ज्यादा
उन्होंने बताया कि चालू तेल वर्ष के पहले 9 महीनों नवंबर-18 से जुलाई-19 के दौरान 108.03 लाख टन खाद्य तेलों एवं4,771,195 टन अखाद्य तेलों का आयात हो चुका है। यह पिछले तेल वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 5 फीसदी ज्यादा है। कुल खपत का करीब 70 फीसदी खाद्य तेल आयात किया जा रहा है। आयातित आरबीडी पॉमोलीन का भाव जुलाई में भारतीय बंदरगाह पर 532 डॉलर और क्रूड पाम तेल का 490 डॉलर प्रति टन रहा।
कपास की कीमतों में सप्ताहभर में 1,000 रुपये की आई तेजी
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि डॉलर की मजबूती से कपास का आयात महंगा हुआ है। इससे घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में सप्ताहभर में ही करीब 1,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की तेजी आई है। शुक्रवार को अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 43,000 रुपये प्रति कैंडी हो गया। न्यूयार्क अक्टूबर महीने का वायदा भाव 58.87 सेंट प्रति पाउंड है जबकि 5 अगस्त को 58.50 सेंट प्रति पाउंड था। उन्होंने बताया कि डॉलर की मजबूती से कपास की आने वाली फसल को फायदा होगा, तथा निर्यात पड़ते अच्छे लगेंगे। चालू फसल सीजन में 46 लाख गांठ कपास (एक गांठ-170 किलोग्राम) का निर्यात ही हुआ है।