अपराधों के बढ़ते ग्राफ ने जहां अलवर की जनता को परेशान करके रखा था वहीं यहां रहे पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह ने जाते-जाते अपराधियों पर ऐसी लगाम कसी है कि यहां की जनता अब बेफिक्र होकर जीने लगी है। यही वजह है कि जनता ऐसे बिंदास एसपी को कभी नहीं भूला पाएगी। वो कहते हैं कि अगर शहर का कोतवाल हर शाम डंडा लेकर बाजार में निकले तो बदमाश, सटोरिए, और मनचले जैसे लोगों पुलिस की गिरफ्ट से कभी नहीं बच पाएंगे। अलवर से विदा होने से पहले कॉरपोरेट पोस्ट के ब्यूरो चीफ रोहित शर्मा ने की उनसे एक खास बातचीत
अलवर शहर में क्राइम का ग्राफ कैसे कम किया गया?
सबसे पहले तो हमने जनता का विश्वास हासिल किया। जनता से सीधे जुडऩे के लिए स्कूल, कॉलेज, धार्मिक स्थल, सराफा जैसी जगहों पर हमारी पेट्रोलिंग टीम रहती थी जिससे बदमाशों पर लगाम कसी गई। अब मनचलों की हिम्मत नहीं होती थी कि किसी के साथ गलत हरकत कर ले। क्राइम वाले जो भी जगह है वहां हमारी टीम चौबीस घंटे मुस्तैद रहती थी जिससे अपराधियों में डर बैठ गया और क्राइम का स्तर काफी हद तक कम हो गया।
आपके कार्यकाल में आमजन और पुलिस का सीधा संवाद कैसे हुआ?
मैं जब यहां आया तो इस शहर में आम जन जो है वो मनचले, बदमाश, सटोरी, लूट जैसी वारदातों से बहुत परेशान थी। हमारी टीम ने सबसे पहले ऐसे लोगों को दबोचा और बहुत सारे अपराधियों को पकड़ा गया। शहर में जब २५ लाख की चोरी की वारदात हुई तो हमने इसका खुलासा करते हुए आमजन में पुलिस के प्रति विश्वास लाया। अब जनता के साथ कुछ भी होता था तो वे सीधे पुलिस से सम्पर्क करती थी और पुलिस भी तुरंत कार्रवाई के लिए तत्पर थी।
अलवर शहर में पुलिस अधीक्षक का पद को क्या कांटों का ताज कहा सकता है?
यहां पर क्राइम अन्य शहरों से ज्यादा है इसमें कोई संदेह नहीं है। इलाका भी बड़ा है परंतु हमने ऐसी रणनीति अपनाई जिससे कई बड़े केसेस में सफलता हासिल हुई। सर्वण जाति का अलवर बंद, कांग्रेस का अलवर बंद जैसे कई मुद्दों पर पुलिस व्यवस्था का सबसे बड़ा रोल था जिसे हमने बखूबी निभाया।
जनता आपको भूला नहीं पाएगी, क्या कहते हैं इसके बारे में आप?
ये जनता का प्यार और विश्वास है जो मैं यहां से लेकर जा रहा हूं। मुजरिमों में पुलिस का अब खौफ है वो जनता के लिए संजीवनी साबित हुआ। पुलिस का डर हर मुजरिम में हमेंशा रहना चाहिए और अगर ये बरकरार रहता है तो आमजन और पुलिस में ये विश्वास हमेंशा बना रहेगा।
आखिरी दिन कैसा रहा?
जैसा अलवर में मेरा पहला दिन था वैसा ही अलवर में मेरा आखरी दिन भी था क्योंकि अपने कार्यकाल के अंतिम दिन भी मैंने एक बहुत बड़ी वारदात का खुलासा किया। भले ही मैंरा कार्यकाल काफी कम रहा लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि वो प्रभावी था। अपराधियों में भय और आमजन में विश्वास इसी उद्देश्य के साथ मैं यहां आया था और ये काफी हद तक पूरा हुआ इसके लिए मुझे खुशी है।