जयपुर। कोरोना (Corona Virus) के खिलाफ भारतीय दवाइयों (Indian medicine) का मानव परीक्षण (Human test) शुरू हो चुका है और जल्दी ही दवाई बाजार में आ सकती है। बुधवार को अहमदाबाद स्थित जायडस कैडिला के बताया कि उसने अपने डीएनए प्लास्मिड वैक्सीन जायकोव-डी के लिए मानव परीक्षण (पहला तथा दूसरा चरण) शुरू कर दिया है। परीक्षण के पहले तथा दूसरे चरण में कम से कम तीन महीने लगेंगे तथा कंपनी को लगता है कि अगर सब कुछ सही रहता है तो तीसरे चरण को पूरा होने में भी कम से कम तीन माह लग जाएंगे। ऐसी स्थिति में अगले वर्ष जनवरी के आस-पास कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन सामने आ सकती है।
सितंबर में Human test का लक्ष्य
इस बीच, भारत बायोटेक की दवाई कोवैक्सिन (Co Vaccine medicine) के मानव परीक्षण (Human test) भी शुरू हो चुके हैं। क्लिनिकल ट्रायल (Clinical trial) रजिस्ट्री के अनुसार, कोवैक्सिन दवाई (Co Vaccine medicine) के परीक्षणों (चरण 1 तथा 2) के लिए अनुमानित समय लगभग एक साल तीन महीने है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह इस समयावधि से काफी पहले पूरा हो जाएगा। निष्क्रिय संपूर्ण वायरस वैक्सीन पर काम कर रही कंपनी पैनसिआ बायोटेक के प्रबंध निदेशक राजेश जैन का कहना है कि कंपनी ने इस साल सितंबर के आसपास मानव परीक्षण (Human test) शुरू करने का लक्ष्य रखा है। इस तरह साल 2021 की पहली तिमाही में भारत को कई वैक्सीन मिलने की संभावना है।
चूहों, खरगोश तथा छोटे सूअरों आदि कई जानवरों पर प्री-परीक्षण
अहमदाबाद स्थित वैक्सीन प्रौद्योगिकी केंद्र में विकसित जायकोव-डी के चूहों, खरगोश तथा छोटे सूअरों आदि कई जानवरों पर प्री-परीक्षण किया जा चुका है। कंपनी ने कहा, ‘वैक्सीन (Corona Vaccine) द्वारा उत्पादित ऐंटीबॉडी वायरस (antibody Virus) को बेअसर करने में सक्षम थे जो वैक्सीन (Corona Vaccine) की सुरक्षात्मक क्षमता की ओर इंगित करता है।’ जायडस का दावा है कि इंट्रामस्क्युलर एवं इंट्राडर्मल दोनों श्रेणियों में बार-बार खुराक देने से भी किसी भी तरह के सुरक्षात्मक पहलू को नहीं देखा गया।
खरगोशों में इंसानी खुराक से तीन गुना अधिक खुराक
कंपनी ने बताया कि खरगोशों में इंसानी खुराक से तीन गुना अधिक खुराक देने पर भी उन्होंने इसे अच्छी तरह से सहन कर लिया। कंपनी 1,000 इच्छुक लोगों पर पहले तथा दूसरे चरण का परीक्षण करेगी। आखिर डीएनए प्लास्मिड वैक्सीन क्या है? यह एक अपेक्षाकृत नई वैक्सीन तकनीक है और इसे स्केलिंग के लिए लागत प्रभावी भी माना जाता है। कोशिकाओं के गुणसूत्रों में और गुणसूत्रों के बाहर भी प्लास्मिड्स के रूप में डीएनए विद्यमान होते हैं।