जयपुर. आजकल के दौर में लोगों को बहुत ही कम इनकम में जीवन की सारी प्राथमिकताएं पूरी करनी होती है। ऐसे में एक बेहतर प्रबंधन जरूरी हो जाता है। सीमित संसाधन में से कई चीजों के लिए इंतजाम करना हो तो दुविधा पैदा हो जाती है। माली हालत अगर ठीक-ठाक न हो तो जीवन के कई लक्ष्यों को लेकर हमेशा ही चुनौती बनी रहती है। अपनी इनकम और बचत का काफ ी हिस्सा हम बच्चों पर खर्च करते हैं। हम इसे अपना फ र्ज मानते हैं। हम महंगे स्कूलों में बच्चों को भेजते हैं। अपनी सीमा से बढ़कर उन्हें खेलों और दूसरी गतिविधियों के लिए एनरोल कराते हैं। अगर इनकम बहुत ज्यादा न हो तो बच्चों पर खर्च हमारी आमदनी का बड़ा हिस्सा खर्च होने से रिटायरमेंट के बाद के जीवन के इंतजाम का मसला गड़बड़ हो सकता है। बच्चे की शादी के लिए पीएफ की रकम का उपयोग करने मकान खरीदने या उसकी साज सज्जा के लिए इन्वेस्टमेंट्स को भुनाने सारी सरप्लस रकम को कारोबार में दोबारा निवेश करने सालाना तौर पर हासिल अतिरिक्त आमदनी को हॉलिडे जैसे शॉर्ट टर्म गोल में लगाने अच्छी लाइफ स्टाइल बनाए रखने के लिए कम बचत करने जैसा हर मामला एक गोल की पूर्ति करता है और दूसरे को नुकसान पहुंचाता है।
आराम से रहने के लिए शहर के मुख्य इलाके में 3 बेडरूम हाउस में इन्वेस्ट करना या नेटवर्किंग और मनोरंजन के लिए एक गेस्ट हाउस खरीदना अच्छा आइडिया है लेकिन रिटायरमेंट के बाद ये बोझ बन सकते हैं। ऐसे एसेट्स को बेचने और उससे हासिल पैसे को दूसरी उपयोगी एसेट्स में निवेश करने से न हिचके। भले ही शुरुआत छोटी रकम से करें लेकिन सेकेंडरी गोल्स में निवेश करें। पीएफ और एनपीएस एकाउंट्स का कोई भी दूसरा उपयोग नहीं करने बुजुर्ग पैरंट्स के लिए इनकम एलोकेशन में बाधा न डालने और हायर एजुकेशन के लिए एसआईपी में निवेश करने से अनुशासन आता है। हममें से कई लोग प्रॉपर्टी गोल्ड या शेयरों और फं ड्स में निवेश मन की मौज में भी कर देते हैं और खुद से कहते हैं कि ये सब जरूरत के वक्त काम आएंगी। सरप्लस वेल्थ हो तो यह सब अच्छा है लेकिन अगर सीमित संसाधन में से ही कई काम करने हों तो हर एसेट के लिए एलोकेशन सोच विचार कर तय करना चाहिए।
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