हाउस अरेस्ट में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को उसके घर पर ही रखा जाता है। उसे थाने या जेल नहीं ले जाया जाता।
नई दिल्ली. देश के अलग अलग शहरों से गिरफ्तार किए गए पांच बुद्धिजीवियों को सुप्रीम कोर्ट ने छह सितंबर तक नजरबंद रखने के आदेश दिए हैं। जिन लोगों को हाउस अरेस्ट किया गया है उनमें वामपंथी विचारक और कवि वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वरनॉन गोंजाल्विस शामिल हैं।
क्या है हाउस अरेस्ट
इसका मतलब ये है किवो हाउस अरेस्ट के दौरान अपने घर पर ही रहेगा। घर के बाहर पुलिस का पहरा होगा। वहीं से उस पर नजर रखी जाएगी। हाउस अरेस्ट के तहत अभियुक्त को गिरफ्तार करने के लिए कोर्ट अरेस्ट वॉरंट यानि गिरफ्तारी का आदेश जारी करता है । अरेस्ट वारंट के तहत संपत्ति की तलाशी ली जा सकती है, उसे जब्त किया जा सकता है। अपराध किस तरह का है उसके आधार पर यह जमानती और गैर जमानती हो सकता है। संज्ञेय अपराध की सूरत में पुलिस अभियुक्त को बिना अरेस्ट वॉरंट के गिरफ्तार कर सकती है। पुलिस को गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर अदालत में पेश करना होता है।
क्या इसका आईपीसी में उल्लेख है
आईपीसी में हाउस अरेस्ट यानि नजरबंदी का कोई उल्लेख नहीं है और ना ही सीआरपीसी में इसके बारे में कुछ कहा गया है।
किस बात पर पाबंदी होती है
हाउस अरेस्ट के दौरान फोन और मोबाइल संपर्क खत्म किए जा सकते हैं। बाहरी लोगों से मिलने और बात करने पर आमतौर पर पाबंदी होती है। केवल अपने घर के लोगों और वकील से बातचीत की इजाजत होती है। इंटरनेट इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगा दी जाती है। इसका इस्तेमाल भी अनुमति पर हो सकता है। नजरबंदी के दौरान घर पर कॉल्स आ तो सकती है लेकिन उसको उठाकर सीधे बात करने की मनाही होती हैं। उन्हें रिकार्डर से जोड़ दिया जाता है जिनकी पुलिस अधिकारी जांच करते हैं।
कैसा होता है रुटीन
हाउस अरेस्ट के दौरान जेल मैन्यूल लागू नहीं होता यानि सुबह देर से सोकर उठ सकते हैं, किताबें पढ़ सकते हैं, लिखने का काम कर सकते हैं, अखबार पढऩे पर कोई पाबंदी नहीं होती और ना टेलीविजन देखने पर कोई रोक होती है। पसंद का खाना सकते हैं।
किन लोगों को हाउस अरेस्ट किया जाता है
अपने देश में हाउस अरेस्ट आमतौर पर उन लोगों को किया जाता है कि जो राजनीति से जुड़े होते हैं। घरों के अंदर ऐसे उपकरण भी लगाए जा सकते हैं जिससे हाउस अरेस्ट शख्स पर नजर रखी जा सके लेकिन हाउस अरेस्ट के मामले बहुत कम होते हैं। वैसे दुनियाभर में सरकारें अपने विरोधियों को हाउसअरेस्ट करती रही हैं। म्यांमार में आंग सान सू की 10 सालों से कहीं ज्यादा समय तक अपने घर में नजरबंद रहीं।
पहली बार कब हुआ
पहली बार जजों ने नजरबंदी को जेल के विकल्प में 17वीं शताब्दी में 1633 में गैलिलियो को उनके घर में नजरबंद कर दिया गया था। अमेरिका में 20वीं सदी के आखिर में मॉनिटर करने वाले इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस के आने के बाद घर में ही नजरबंद करने के मामले ज्यादा हो गए। इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ अमेरिका में 1983 में हाउस अरेस्ट की पहली सजा कोर्ट ने सुनाई थी।
चर्चित हाउस अरेस्ट
म्यांमार में आंग सान सू की को अपने देश में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के चलते जुलाई 1989 से लेकर नवंबर 2010 तक हाउस अरेस्ट रखा गया था। छह साल बाद 1995 में उन पर से नजरबंदी हटाई गई लेकिन वर्ष 2000 में फिर उन्हें हाउस अरेस्ट कर दिया गया। दो साल बाद वो रिहा हुईं लेकिन सरकार की आलोचना करने पर वर्ष 2003 में फिर नजरबंदी में भेज दी गईं। कुल मिलाकर वो 14 सालों तक हाउस अरेस्ट रहीं।
कंबोडिया के पूर्व राष्ट्रपति पोल पाट को वियतनाम के हमले के बाद नजरबंद कर दिया गया।
05 जनवरी 2005 को चिली के पूर्व तानाशाह आगुस्तो पिनोचेज नजरबंद कर दिया गया।
चीन में ये काम बड़े पैमाने पर होता है। चीन के राजनीतिक विद्रोहियों और असंतुष्टों को आमतौर पर उनके घरों में कैद कर दिया जाता है। इसमें चीन की बड़ी से बड़ी शख्सियतें शामिल रही हैं।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुहार्तो को एक साल के लिए वर्ष 2000 में एक साल के लिए नजरबंद कर दिया गया था।
इटली में हाउस अरेस्ट बहुत सामान्य है। अमेरिका में सिविल राइट्स एक्टिविस्ट को हाउस अरेस्ट किया जाता रहा है।