नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी (Covid-19) ने होटल उद्योग का भटटा बिठा दिया है। कारोबार करीब तीन महीने से ठप है और बैंक कर्ज वसूलने का दबाव डाल रहे हैं। इसीलिए Hotel Industry ने खस्ता कारोबार के बीच कर्ज अदायगी के लिए बैंकों से बातचीत शुरू कर दी है।
bank और Hotel मूलधन-ब्याज के भुगतान के लिए तीन रास्तों पर बात
Reserve bank of india ने कर्ज की किस्तें छह महीने के लिए रोकने की जो राहत (Moratorium) दी थी, उसकी मियाद खत्म होने को है। इसीलिए बैंक और होटल मूलधन तथा ब्याज के भुगतान के लिए तीन रास्तों पर बात कर रहे हैं। पहले रास्ते में मानक यानी स्टैंडर्ड ऋण खाते वाले होटल बैंकों से कर्ज की अवधि में 12 महीने का इजाफा मांग रहे हैं ताकि कर्ज चुकाना आसान हो जाए। आम तौर पर होटल कंपनियां 6-7 साल के लिए कर्ज लेती हैं। हालांकि अवधि बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक की इजाजत चाहिए।
कर्ज चुकाने की यह भी मांग
दूसरा रास्ता यह है कि कर्ज चुकाने के मामले में अच्छे रिकॉर्ड वाले होटलों (Hotels) को छह महीने के मॉरेटोरियम (Moratorium) का बकाया मूलधन और ब्याज 12 महीने की मासिक किस्तों में चुकाने की सहूलियत दी जाए। तीसरे रास्ते में उन होटलों की बात है, जिनके ऋण खाते स्टैंडर्ड नहीं हैं यानी जो भुगतान में चूक कर चुके हैं। उनसे कहा जा सकता है कि मॉरेटोरियम (Moratorium) के दौरान जो भी मूलधन और ब्याज बकाया हुआ है, उसे मॉरेटोरियम (Moratorium) खत्म होते ही एक बार में चुकाया जाए।
Hotel industry 30 से 36 महीने तक पटरी पर लौटता नहीं दिख रहा
बातचीत तब शुरू हुई, जब होटल उद्योग की शीर्ष संस्था द होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) ने Reserve bank को letter लिखकर आगाह किया कि नामचीन होटल कंपनियों को दिए गए 45,000 करोड़ रुपये के कर्ज कुछ ही महीनों में फंस जाएंगे यानी एनपीए बन जाएंगे। देश में कुल 28 लाख होटल हैं, जिनमें 15 फीसदी ब्रांडेड होटल हैं। उसने यह भी कहा कि Hotel industry 30 से 36 महीने तक पटरी पर लौटता नहीं दिख रहा और उस दौरान महामारी से पहले की तुलना में 50-60 फीसदी कमरे ही भर पाएंगे।
पूरे वित्त वर्ष में Moratorium लागू करने की मांग
ये दिक्कतें गिनाकर एचएआई ने केंद्रीय बैंक से इस पूरे वित्त वर्ष में मॉरेटोरियम लागू करने की मांग की है और कर्ज की अवधि एक साल बढ़ाने की दरख्वास्त भी की है। साथ ही अगले 18 से 24 महीनों में ब्याज दर में रियायत देने की गुहार भी लगाई है। हालांकि उसने यह भी कहा है कि इसके बावजूद 9-10 फीसदी कर्ज तो एनपीए में तब्दील हो ही जाएगा।