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जीएसटी ने सरकारों के खजाने का बाजा बजा दिया

                                   मरियल नेटवर्क की भेंट चढ़ता जीएसटी

                                        भारत का जीएसटी सबसे जटिल

टीना सुराना

जयपुर. दर्जनों रियायतें और 375 से ज्यादा नोटिफिकेशन के बाद भी जीएसटी औंधे मुहं गिर चुका है। मरियल नेटवर्क, किस्म-किस्म की गफलतें देखकर सरकार ने 75 फीसदी करदाताओं को निगहबानी से बाहर भी कर दिया है, लेकिन सुधार मानकर जिस जीएसटी का अभिषेक हुआ था, वो अब दम तोडऩे लगा है। दरअसल जीएसटी के अंदर सबसे बड़ी खामी कारोबारी सहजता की थी। एक या दो टैक्स दरें लेकर आने वाला जीएसटी, पांच दरें और सेस लेकर आया है, जो कारोबारियों के गले नहीं उतरा। जन्म से ही दुर्बल और पेचीदा जीएसटी ने तीन माह बाद ही सुधार शुरू कर दिए थे। जीएसटी ने सरकारों के खजाने का बाजा बजा दिया है। कारोबारी सहजता के लिए टैक्स दरों की असंगति दूर करना जरूरी है। वह तब तक नहीं हो सकता जब तक राजस्व संग्रह संतोषजनक न हो जाए। पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मंजिल भी अभी दूर है। टैक्स चोरी जीएसटी की सबसे बड़ी ताजा मुसीबत है, यानी जिसे रोका जाना था वह भरपूर है, अगर राजस्व चाहिए या उपभोक्ताओं को जीएसटी को फायदे देने हैं तो अब कारोबारियों पर सख्ती करनी होगी यानी उनकी नाराजगी को न्योता देना होगा।

मलेशिया का जीएसटी ध्वस्त- दो माह पहले की ही बात है कि मलेशिया का जीएसटी, जिसे भारत के लिए आदर्श माना गया था जो हर तरह से भारत से बेहतर भी था, खुद भी डूबा और सरकार को भी ले डूबा। जीएसटी नेटवर्क की विफलता ने पूरी दुनिया में डिजिटल इंडिया की चुगली की और इसकी ढांचागत खामियों ने सुधारों को लेकर सरकार की काबिलियत पर भरोसे की चूले हिला दी हैं।

 भारत का जीएसटी सबसे जटिल- विश्व बैंक, जो भारत पर फिदा था, जीएसटी की पहली छमाही देखकर उसे कहना पड़ा कि भारत का जीएसटी दुनिया में सबसे जटिल है। ताजा कोशिशें पहले जीएसटी के ‘संक्रमण’ को दूर करने की हैं। जीएसटी को ठीक करने में अभी वक्त लगेगा।

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