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Government will sell stake in six banks!

छह बैंकों में हिस्सा बेचेगी सरकार!

जयपुर। सरकार के अंदर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर चर्चा चल रही है, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) (आरबीआई) ने निकट भविष्य में बैंकिंग क्षेत्र का निजी क्षेत्रों के लिए पूरी तरह खोलने को लेकर चिंता जताई है। मामले के जानकार एक शख्स ने कहा कि बैंकिंग नियामक का मानना है कि अगर मौजूदा हालात में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण किया जाता है तो इसके नतीजे आईडीबीआई बैंक की तरह हो सकते हैं, जहां भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को सरकार से 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदनी पड़ी।

12 से 18 महीने में घटाकर 51 फीसदी करने का सुझाव

इस बीच वित्त वर्ष 2021 के विनिवेश लक्ष्य 2.1 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंचने के लिए आरबीआई ने सरकार को शीर्ष छह सार्वजनिक बैंकों में अपनी हिस्सेदारी अगले 12 से 18 महीने में घटाकर 51 फीसदी करने का सुझाव दिया है। इस प्रक्रिया के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी), बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी), केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) को छांटा गया है। मामले के जानकार शख्स ने कहा कि सरकार ने आरबीआई के सुझाव को सकारात्मक लिया है। इस बारे में पुष्टि के लिए वित्त मंत्रालय को ईमेल किया गया लेकिन कोई जवाब  नहीं आया।

सार्वजनिक बैंकों में सरकार घटाए 26 फीसदी हिस्सेदारी

हाल ही में आरबीआई ने राय जाहिर की थी कि सरकार को सार्वजनिक बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 26 फीसदी घटानी चाहिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कई मौकों पर उल्लेख किया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बाजार से इक्विटी पूंजी जुटाएंगे और सरकार पर ही निर्भर नहीं रहेंगे। यूनियन बैंक ने 6,800 करोड़ रुपये और पंजाब नैशनल बैंक ने चालू वित्त वर्ष में 7,000 करोड़ रुपये इक्विटी पूंजी जुटाने की योजना बनाई है। तिमाही नतीजों के बाद मीडिया से चर्चा के दौरान एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा था कि बैंक पूंजी के लिए सरकार के पास जाने का विचार नहीं कर रहा है।

मिल सकते हैं 43,000 करोड़ रुपये

अनुमान के मुताबिक छह सार्वजनिक बैंकों में हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को करीब 43,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। हालांकि सूत्रों ने बताया कि सरकार ने इसके जरिये 25,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही इन बैंकों द्वारा ताजा इक्विटी जारी करने और शेयर बिक्री के मामले में सरकार भागीदारी नहीं करेगी, जिससे इन बैंकों में उसे अपनी हिस्सेदारी घटाकर 51 फीसदी तक लाने में मदद मिलेगी।

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