टीना. सुराना
इस साल फरवरी में बीमार पडऩे से पहले गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर ने यह सुनिश्चित कर लिया था कि राज्य के मनोरंजन क्षेत्र की गति धीमी नहीं पडऩे देंगे। जुए को सामाजिक बुराई बताकर हो रहे कड़े विरोध के बावजूद वे कैसिनो को प्रोत्साहित करते रहे। राज्य ने पिछले साल 8.8 फीसदी की सालाना आर्थिक विकास दर दर्ज की। यह बढ़ोतरी तीन क्षेत्रों पर्यटन, खनन और फार्मास्युटिकल्स में मजबूत प्रदर्शन से हुई है। खनन से जहां राज्य के राजस्व में 1,000 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ, वहीं पांच समुद्री और 14 तटीय कैसिनो से राज्य के खजाने को 150 करोड़ का योगदान मिला। गैंबलिंग में बाहरी सैलानियों के साथ-साथ घरेलू खिलाड़ी भी हाथ आजमाने पहुंचे। इसका संकेत पणजी में मंडोवी नदी में खड़े जहाज कैसिनो रॉयल से मिल जाता है। जहाज की दोनों मंजिलें गैंबलिंग के शौकीनों से भरी पड़ी थी। महाराष्ट्र में कोल्हापुर के निवासी संग्राम देशमुख जुए में 20,000 रुपए हार चुके थे पर उनका उत्साह ठंडा नहीं पड़ा था। वे कहते हैं, मैं कल फिर आऊंगा और खेलूंगा। यहां का माहौल चमत्कृत करने वाला है। वे गोवा के शानदार समुद्र तटों पर जाने की भी योजना बना रहे थे।
सडक़ें शानदार, बिजली भरपूर
गोवा का बुनियादी ढांचा, खास तौर पर सडक़ें अच्छी हैं। राज्य में सौ फीसदी घरों में बिजली उपलब्ध है। गोवा के पास भरपूर बिजली है। सरकार का ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं में सुधार पर भी जोर है। गोवा के पर्यटन क्षेत्र ने साल 2017 में नई ऊंचाई को छू लिया जब सैलानियों के आगमन में 22.98 फीसदी की वृद्धि हुई। बीते साल राज्य में रिकॉर्ड 7,785,693 सैलानी पहुंचे। इसमें मुख्य हाथ हॉस्पिटेलिटी क्षेत्र में ढांचागत सुविधाओं में सुधार का है।
वाटर स्पोट्र्स में बढ़ी रुचि
वाटर स्पोट्र्स, डॉल्फिन साइटिंग और वाटर राक्रिटंग जैसी गतिविधियों को आजमाने वालों की संख्या बढ़ी है। गोवा टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने एक शीर्ष रोमांचक खेल वीडियो कंपनी से भी तालमेल किया है ताकि वह सैलानियों को राक्रिटंग के उनके अनुभवों के व्यक्तिगत वीडियो तैयार करके उपलब्ध करा सके। सुरक्षा उपायों को बेहतर बना रहे हैं और स्वच्छ पर्यावरण उपलब्ध करा रहे हैं। गोवा पक्षी प्रेमियों को भी टूर की पेशकश कर रहा है। राज्य में पक्षियों की 458 किस्में देखने को मिलती हैं और यहां सात पक्षी अभयारण्य भी हैं। गोवा ने अपने यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए
यूरोपीय और लैटिन अमेरिकी देशों के साथ समझौतों पर भी दस्तखत किए हैं। अगले साल तक इनके नतीजे सामने आने लगेंगे।