जयपुर। डॉ. रत्ना कुमरिया डायरेक्टर – कृषि बायोटेक्नॉलॉजी, अलायंस फॉर एग्री इनोवेशन, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया का विशेष रुचि समूह ने बताया कि पिछले दो दशकों में पूरे विश्व के किसानों द्वारा जेनेटिकली मोडिफाईड फसलों के उपयोग में वृद्धि हुई है। विश्व में जीएम फसलों की खेती वाली जमीन 190 मिलियन हेक्टयेर को पार कर गई है। जीएम फसलों की खेती वाली जमीन का अधिकांश हिस्सा विकासशील देशों में हैं। इससे हमें इस बात की झलक मिलती है कि जीएम फसलें उन छोटी अर्थव्यवस्थाओं के लिए सकारात्मक परिवर्तन लेकर आई हैं, जिन्हें खेत में आधुनिक सुविधाएं और मशीनें हमेशा उपलब्ध नहीं हो पाती हैं।
विश्व की 83 प्रतिशत आबादी विकासशील देशों में
विश्व की 83 प्रतिशत आबादी विकासशील देशों में निवास करती हैं, और यहाँ पर छोटे-छोटे खेतों, बहुत कम वित्तीय सहयोग, और खेती की अन्य चुनौतियाँ, जैसे कीटों के संक्रमण, पौधों की बीमारियों, और प्रतिकूल जलवायु की समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं। संसाधनों की अपर्याप्त उपलब्धता और खेत की कम पैदावार के कारण विकासशील देशों की आर्थिक रूप से कमजोर आबादी में गरीबी और कुपोषण का चक्र शुरू हो जाता है।
जीएम फसलों का सबसे बड़ा फायदा विश्व में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों को हल करने में
जीएम फसलों ने कृषि का एक प्रभावशाली, किफायती और सस्टेनेबल (संधारणीय) विकल्प प्रस्तुत किया है, जो लागत बढ़ाए बिना पैदावार बढ़ा सकता है। इसलिए जीएम फसलों का सबसे बड़ा फायदा विश्व में खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों को हल करने में इसके द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका है। जीएम खेती से जैवविविधता और परिवेश को छेड़े बिना निश्चित खाद्य आपूर्ति और स्थिर मूल्य प्राप्त होते हैं। जीएम फसलें तो जलवायु परिवर्तन का असर कम करने में भी योगदान दे चुकी हैं।
खेती की यह जमीन 19 विकासशील देशों में
रिपोर्ट में बताया गया कि 1996 से 2019 के बीच पूरे विश्व में लगभग 17 मिलियन किसानों द्वारा 2.7 बिलियन हेक्टेयर जमीन पर जीएम फसलों की खेती की गई, जिससे गाँवों में रहने वाले 65 मिलियन लोगों को सीधा लाभ मिला। खेती की यह जमीन 19 विकासशील देशों में थी, जो जीएम फसलों के कुल उपयोग के 53 प्रतिशत के बराबर थी। इन देशों में भारत के अलावा वियतनाम, फिलीपींस, होंडुरास, बांग्लादेश, पैराग्वे, ब्राज़ील, बोलिविया, सूडान, मैक्सिको, पाकिस्तान, कोलंबिया, चिली जैसे देश हैं।
साल 2022 में सरसों की खेती 75 लाख हेक्टेयर जमीन में
भारत में स्वीकृत की जाने वाली पहली जीएम फसल कीट प्रतिरोधी बीटी कपास थी, और वर्तमान में कपास की खेती वाली 95 फीसदी से ज्यादा जमीन पर इसकी खेती की जा रही है। भारतीय किसानों ने बीटी कपास को बहुत तेजी से अपनाया क्योंकि इसने कीटनाशकों के उपयोग में कमी लाई और उत्पादकता में सुधार किया। 2002-03 में कपास का वार्षिक उत्पादन 13.6 मिलियन गठरियों का था, जबकि भारतीय किसानों द्वारा बीटी कपास को अपनाए जाने के बाद 2013-14 में पैदावार 192 प्रतिशत बढ़कर 39.8 मिलियन गठरी तक पहुँच गई। देश में स्वीकृत दूसरी जीएम फसल और पहली खाद्य जीएम फसल सरसों की संकर डीएमएच-11 है, जो एक प्रभावशाली जीएम संकर उत्पादन प्रणाली द्वारा विकसित की गई है। साल 2022 में सरसों की खेती 75 लाख हेक्टेयर जमीन में की गई थी, जिसमें से 40 हेक्टेयर जमीन पर संकर खेती की गई। संकर की पैदावार खुले परागण वाली किस्मों के मुकाबले 30 प्रतिशत ज्यादा और उनमें तेल की मात्रा 41 प्रतिशत ज्यादा थी।