जयपुर| भ्रष्ट और काम न करने वाले अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के तैयारी की जा रही है. सरकार की यह कार्रवाई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी दोनों के खिलाफ की जाएगी. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने भ्रष्टाचार में लिप्त और ऐसे अधिकारियों की सूची तैयार की है जो सरकारी काम को ठीक से नहीं करते हैं. गहलोत सरकार ने इस सभी अधिकारियों को तीन पहने पहले अनौपचारिक रूप से सचेत भी किया था. इसके बाद भी इनके काम में सुधार न होने के बाद अब उन्हें जबरन सेवानिवृत्त करने की तैयारी की जा रही है.
दो आईपीएस और एक आईएएस अधिकारी शामिल
बताया जा रहा है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई की जा रही है उनमें दो आईपीएस और एक आईएएस अधिकारी शामिल है. इसके साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा के भी चार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई की जाएगी. कुछ समय पहले सरकार ने दो आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया था.
13 नवंबर को बैठक में होगा फैसला
राजस्थान के कार्मिक विभाग के सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, कार्मिक सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय स्तर पर दागी अधिकारियों की अनौपचारिक सूची तैयार की गई थी. इस सूची को सीएम अशोक गहलोत के पास इसे भेजा गया था. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने इस सूची को मंजूर कर लिया है. अब इस मामले में पुलिस सेवा के अयोग्य एवं भ्रष्ट अधिकारियों की छंटनी करने को लेकर 13 नवंबर को मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की अध्यक्षता में बैठक होगी.
कई बड़े अधिकारी बैठक में होंगे शामिल
बताया जा रहा है कि इस बैठक में राज्य के पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप, गुजरात की क्राइम ब्रांच के पुलिस महानिदेशक आशीष भाटिया और ऊर्जा विभाग के सचिव कुंजीलाल मीणा शामिल होंगे. बैठक में अयोग्य एवं भ्रष्ट आईपीएस और आईएएस अधिकारियों की सूची का अनुमोदन कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा.
दो आईपीएस को किया गया सेवानिवृत्त
भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ पिछले काफी समय से केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कार्रवाई की जा रही है. हाल ही में राजस्थान ने दो आईपीएस अधिकारियों को सेवानिवृत्त कर दिया. जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई उनमें 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी इंद्रभूषण और 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी शामिल है । राज्य सरकार ने इन दोनों अधिकारियों को सरकारी सेवा से हटाने को लेकर केंद्र से मंजूरी ली थी. किसी भी भारतीय प्रशासनिक एवं पुलिस सेवा के अधिकारी के खिलाफ सेवानिवृत्ति की कार्रवाई से पहले राज्य को केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी आवश्यक होती है. राज्य सरकार राज्य के अधिकारियों को अपने स्तर पर सेवानिवृत कर सकती है.