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From prevention to treatment: Maringo CIMS Hospital launches campaign during Lung Cancer Awareness Month

बचाव से लेकर उपचार तक : लंग्स कैंसर जागरूकता माह के दौरान मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल ने बनाई मुहिम

लंग्स कैंसर जागरूकता माह के दौरान, मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल ने मरीजों को सही जानकारी एवं सहायता प्रदान करने पर बल देते हुए यह सुनिश्चित किया कि, परिवारों को फेफड़ों के कैंसर के इलाज में शुरू से अंत तक मार्गदर्शन मिले, कैंसर देखभाल संस्थान में, विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाली हमारी टीम साथ मिलकर मरीज की ज़रूरतों के अनुरूप फेफड़े के कैंसर के उपचार की पेशकश करती है।

अहमदाबाद. नवंबर का महीना फेफड़े के कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने को समर्पित है और मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल ने फेफड़ों के कैंसर के खिलाफ जारी संघर्ष में बचाव से लेकर उपचार तक के सफ़र की गहराई से पड़ताल की है, ताकि दुनिया भर में कैंसर के सबसे सामान्य और जानलेवा रूप को उजागर किया जा सके। दुनिया भर में कैंसर की वजह से होने वाली मौतों में फेफड़े का कैंसर सबसे प्रमुख कारण है, जिसे देखते हुए मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल इस जानलेवा बीमारी की शुरुआत में पहचान करने, इसकी रोकथाम करने और इसके इलाज में हुई प्रगति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के संकल्प पर कायम है। अस्पताल इस बात पर भी जोर देता है कि, परिणामों को बेहतर बनाने और लोगों की ज़िंदगी बचाने के लिए, आम लोगों को जानकारी देने से लेकर उपचार के अत्याधुनिक विकल्प उपलब्ध कराने तक के सभी पहलुओं को शामिल करना जरूरी है। डॉ. सरव शाह, थोरैसिक ऑन्को सर्जन; डॉ. भावेश पारेख, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, और; डॉ. देवांग भावसार, रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट सहित विशेषज्ञों की एक टीम साथ मिलकर एमडीटी की बैठकों में इलाज के लिए प्रोटोकॉल तैयार करती है।

इस मौके पर डॉ. सरव शाह, थोरैसिक ऑन्को सर्जन, मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल ने जोर देकर कहा, “फेफड़ों के कैंसर में शुरुआत में ही इसकी पहचान करना बहुत ज़रूरी है। डायग्नोस्टिक इमेजिंग और बेहद कम चीर-फाड़ वाली प्रक्रियाओं में काफी प्रगति हुई है, जिसकी वजह से मरीजों को बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। इस बार लंग्स कैंसर जागरूकता माह के दौरान, हम सभी से यही गुजारिश करते हैं कि वे इस खतरे को समझें और समय-समय पर चिकित्सा जाँच करवाएँ। फेफड़ों का कैंसर सिर्फ़ एक मेडिकल डायग्नोसिस नहीं है; बल्कि यह एक ऐसी चुनौती है जो इंसान की ज़िंदगी के सभी पहलुओं — शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक पर बुरा असर डालती है। मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल में, फेफड़ों के कैंसर के उपचार में सभी पहलुओं को शामिल करना ही हमारा मिशन है, जिसमें बचाव से लेकर इलाज की अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करना शामिल है। इसका मतलब सिर्फ़ नवीनतम तकनीक और चिकित्सा विशेषज्ञता की पेशकश करना नहीं है, बल्कि उपचार को सुलभ बनाने में मौजूद असमानताओं को दूर करना भी है। हम इन कमियों को दूर करना चाहते हैं, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि भौगोलिक, आर्थिक या सामाजिक रुकावटों की वजह से कोई भी मरीज पीछे न छूट जाए। शुरुआती पहचान से मरीज की जान बचाई जा सकती है, और हम इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी, जाँच तथा निजी जरूरतों के अनुरूप उपचार योजनाओं के माध्यम से फेफड़ों के कैंसर के हर चरण से लड़ने के इरादे पर अटल हैं। हम लोगों और उनके परिवारों को सही जानकारी और सहायता प्रदान करके उन्हें सक्षम बनाने पर ध्यान देते हैं, ताकि वे अपनी सेहत के बारे में समझदारी से फैसला ले सकें। हर इंसान संभावित रूप से सबसे बेहतर परिणाम पाने का हकदार है, और हम साथ मिलकर देखभाल की कमी को दूर करके और सभी को कैंसर के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले इलाज की पेशकश करके इसे हकीकत में बदल सकते हैं।”

पूरी दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों में से लगभग 5 में से 1 मौत फेफड़ों के कैंसर की वजह से होती है, जिसके चलते यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। हालाँकि, धूम्रपान इसके जोखिम को बढ़ाने वाला सबसे मुख्य घटक है, परंतु धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों में भी वायु प्रदूषण, व्यावसायिक खतरों और आनुवंशिक कारकों की वजह से बड़ी तेजी से इसके मामले सामने आ रहे हैं। लंग्स कैंसर जागरूकता माह सेहत से जुड़े एक बड़े संकट की ओर हमारा ध्यान खींचता है, जो सिर्फ़ सिगरेट पीने जैसे पारंपरिक जोखिम के दायरे से परे है। हालाँकि धूम्रपान आज भी फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है, लेकिन वायु प्रदूषण के असर को भी इसमें योगदान देने वाले बेहद अहम घटक के रूप में पहचाना जा रहा है। दिल्ली जैसे शहरी इलाकों में हवा की गुणवत्ता इतनी खराब है कि, वहाँ रहना एक दिन में 50 सिगरेट पीने के बराबर है। ये आँकड़े बेहद चिंताजनक हैं, जो फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाली पर्यावरणीय समस्याओं को तुरंत दूर करने की जरूरत को उजागर करते हैं। गौरतलब है कि, कभी धूम्रपान नहीं करने वाले और 40 के आसपास की उम्र वाले लोगों में फेफड़े के कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जबकि पहले इस आयु वर्ग के लोगों को कम जोखिम वाला माना जाता था। इस ट्रेंड से जाहिर होता है कि, फेफड़ों के कैंसर के लगातार बढ़ते मामलों में वायु प्रदूषण और पर्यावरण से जुड़े दूसरे खतरों की बेहद अहम भूमिका है। धीरे-धीरे यह सोच बदल रही है कि सिर्फ धूम्रपान करने वालों को ही फेफड़े का कैंसर होता है, जो पहले से बेहतर सतर्कता, शुरुआत में पहचान और सर्वांगीण देखभाल की अहमियत को उजागर करती है। अक्सर इस बीमारी के लक्षण देर से दिखाई देते हैं, जिसमें लगातार खाँसी, सीने में दर्द, साँस लेने में तकलीफ, बेवजह वजन कम होना और खाँसी के साथ खून आना, इत्यादि शामिल हो सकते हैं। शुरुआत में इसकी पहचान से परिणामों में काफी सुधार होता है, लेकिन कई मामलों में शुरुआत में लक्षण नहीं दिखाई देने की वजह से काफी देर से इसका पता चल पाता है। लंबे समय से धूम्रपान करने वाले और इसी तरह के उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए समय-समय पर जाँच कराना बेहद जरूरी है, ताकि बीमारी का जल्दी पता लगाकर समय रहते इलाज किया जा सके।

डॉक्टर इस बीमारी से बचाव और जाँच पर जोर देते हैं और इस बात की हिमायत करते हैं कि, रोकथाम ही फेफड़ों के कैंसर से लड़ने का सबसे कारगर तरीका है। इसमें तम्बाकू वाले उत्पादों से परहेज करना और धूम्रपान छोड़ना, हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क में कम आना, स्वच्छ हवा से संबंधित नीतियों का समर्थन करना, लो-डोज सीटी स्कैन (LDCT) के ज़रिये अधिक जोखिम वाले लोगों की नियमित जाँच करना, इत्यादि शामिल है, जिससे शुरुआत में ही फेफड़ों के कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

कैंसर देखभाल संस्थान ने फेफड़ों के कैंसर के इलाज के लिए बेहद खास तरीका अपनाया है। विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की टीम (MDT) द्वारा विचार-विमर्श के बाद हर मरीज के लिए उपचार की योजना तैयार की जाती है, जिसमें सभी पहलुओं को शामिल किया जाता है और निजी ज़रूरतों के अनुरूप इलाज किया जाता है। परस्पर तालमेल के साथ उपचार के इस मॉडल का मतलब है कि, मरीजों को कई अलग-अलग विशेषज्ञों के पास जाने की ज़रूरत नहीं होती है, जिससे किसी भी तरह के विलंब या ओवरलैप के बिना सहज तरीके से इलाज करना संभव हो पाता है। सहयोगपूर्ण तरीके से और टीम पर आधारित उपचार पर विशेष ध्यान देकर, हम अपने मरीजों को संभावित रूप से सबसे बेहतर परिणाम देना चाहते हैं, साथ ही यह जानकर उन्हें मन की शांति भी मिलती है कि उनकी देखभाल में सभी पहलुओं को अच्छी तरह शामिल किया गया है। मैरिंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल उपचार में सभी पहलुओं को शामिल करने के अपने संकल्प पर कायम है, जो इस बात पर हमारे यकीन को दर्शाती है कि समग्र, सर्वांगीण उपचार के साथ फिर से स्वस्थ होने का सबसे अच्छा मौका प्राप्त करना हरेक मरीज का हक है।

फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों की एक बड़ी वजह है, तथा हर साल इससे मरने वालों की संख्या लगभग 1.8 मिलियन है। पूरी दुनिया में कैंसर से होने वाली सभी मौतों में इसका योगदान लगभग 18% है। भारत में, कैंसर के सामान्य मामलों में फेफड़े का कैंसर चौथे स्थान पर है, तथा हर साल इसके 72,000 से ज्यादा नए मामले सामने आते हैं। इसके बढ़ते मामले एक बड़ी चिंता का विषय है, जिसकी वजह यह है कि धूम्रपान की दर के साथ-साथ कई इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर भी उच्च बना हुआ है। सामान्य तौर पर इससे पीड़ित लोगों में पुरुषों की संख्या अधिक होती है, परंतु महिलाओं में भी इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

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