मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) (आरबीआई) ने अपनी नीतिगत दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है लेकिन चालू और अगले वित्त वर्ष के लिए उदार रुख बनाए रखने का वादा किया है। आरबीआई (RBI) ने मुद्रास्फीति तथा आर्थिक वृद्घि के अपने अनुमान में खासा इजाफा किया है। आरबीआई (RBI) के अनुसार तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था सकारात्मक दायरे में आ सकती है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रीपो दर 4 फीसदी पर बरकरार रखी गई है, जो उम्मीद के अनुरूप है। 12 अर्थशास्त्रियों और बैंकरों के बीच बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में भी नीतिगत दर में किसी तरह का बदलाव नहीं होने की उम्मीद जताई गई थी।
दरों में बदलाव नहीं करने का निर्णय
मौदिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने सर्वसम्मति से दरों में बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया। आरबीआई (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि अक्टूबर की बैठक में बाह्य सदस्य जयंत वर्मा ने उदार रुख बरकरार रखने पर थोड़ी आपत्ति जताई थी। लेकिन इस बार सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए। हालांकि उम्मीद थी कि आरबीआई (RBI) तरलता का स्तर कम करने का उपाय करेगा क्योंकि पूंजी बाजार में दरें रीपो दर से नीचे आ गई हैं। लेकिन केंद्रीय बैंक का इरादा फिलहाल ऐसा करने का नहीं है।
बैंकिंग तंत्र में सुगम तरलता की स्थिति
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक बैंकिंग तंत्र में सुगम तरलता की स्थिति को बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि आरबीआई (RBI) बाजार के भागीदारों को आसान तरलता उपलब्ध कराने के लिए आगे भी कदम उठाने के लिए तैयार है। तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई समय-समय पर खुले बाजार परिचालन के तौर पर द्वितीयक बाजारों से बॉन्डों की खरीद, रिवर्स रीपो दर में बदलाव जैसे उपाय करता रहेगा। दास ने स्पष्ट किया कि हमारा मुख्य उद्देश्य वृद्घि को सहायता देना और वित्तीय स्थायित्व कायम रखना है।
मुद्रास्फीति को काबू में रखना प्राथमिकता
वृद्घि पर दबाव के बीच केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति से अपना ध्यान नहीं हटाया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति को काबू में रखना हमारी शीर्ष प्राथमिकता है। केंद्रीय बैंक के अनुमान के अनुसार कुछ समय तक मुद्रास्फीति में तेजी रह सकती है। आरबीआई (RBI) ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रासफीति के अनुमान को 5 फीसदी से बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया है। उसका अनुमान है कि चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति 5.8 फीसदी के आसपास रह सकती है।
ग्रामीण बाजारों में मांग मजबूत होगी
केंद्रीय बैंक (RBI) को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था जल्द ही सकारात्मक दायरे में आ जाएगी। हालांकि कुल मिलकार पूरे वित्त वर्ष में यह ऋणात्मक दायरे में ही रहेगा। ग्रामीण बाजारों में मांग मजबूत होगी, वहीं शहरी मांग भी जोर पकड़ रही है। आरबीआई ने कहा कि वित्तीय प्रोत्साहनों से खपत और तरलता को बढ़ावा मिला है और अर्थव्यवस्था के खुलने से रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
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