मुंबई. हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी और पारले प्रोडक्ट्स जैसी एफएमसीजी कंपनियों ने कच्चे माल की बढ़ती लागत का दबाव कुछ कम करने के लिए अक्टूबर और नवंबर में अपने उत्पादों के दाम बढ़ा दिए हैं।
देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता वस्तु कंपनी एचयूएल ने मौजूदा तिमाही में अपने पोर्टफोलियो के सभी उत्पादों के दाम बढ़ाए हैं। कंपनी ने 1 सेे 33 फीसदी के दायरे में मूल्य वृद्घि की है। एचयूएल ने अपने उत्पादों के दाम में औसतन 7 फीसदी का इजाफा किया है।
कंफर्ट कंडीशनर के 19 मिलीलीटर पैक के दाम में सबसे ज्यादा 33.33 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। कंपनी ने चाय, कॉफी, साबुन, डिटर्जेंट, टॉयलेट क्लीनर, फेसक्रीम, बॉडी लोशन और शैम्पू के दाम में भी इजाफा किया है।
50 ग्राम वाले ब्रू इंस्टैंट कॉफी पैक का दाम 8.3 फीसदी बढ़ गया है और लिप्टन चाय की कीमत में 3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। डव साबुन के दाम 7 से 12 फीसदी बढ़े हैं और सर्फ एक्सेल 2 से 9 फीसदी महंगा हुआ है। लक्स साबुन के दाम भी 7 से 18 फीसदी बढ़ गए हैं।
एचयूएल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को ईमेल से भेजे बयान में कहा है, ‘जिसंों की कीमतों में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव के साथ हमारे ऊपर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ गया था। हमने लागत का बोझ कम करने के लिए बचत के एजेंडे पर काम किया। लेकिन लागत में ज्यादा बढ़ोतरी होने पर हमें शुद्घ राजस्व प्रबंधन के सिद्घांत के तहत उत्पादों के दाम बढ़ाने पड़े।’
एचयूएल के मुख्य वित्त अधिकारी ऋतेश तिवारी ने कंपनी के नतीजों की घोषणा के बाद निवेशकों से कहा कि एचयूएल ने कच्चे माल की बढ़ी हुई लागत के आंशिक भार को कम करने के लिए डिटर्जेंट और घरेलू सामानों के दाम में बढ़ोतरी की है।
पारले प्रोडक्ट्स इस तिमाही में पहले ही अपने उत्पादों के दाम 5 से 10 फीसदी बढ़ा चुकी है। पारले-जी बिस्कुट बनाने वाली कंपनी ने 20 रुपये से कम वाले पैक पर दाम बढ़ाने के बजाय उसका वजन कम किया है और 20 रुपये से ऊपर के उत्पादों के दाम बढ़ाए हैं।
पारले प्रोडक्ट्स में कैटगरी प्रमुख मयंक शाह ने कहा, ‘खाद्य तेल जैसे कच्चे माल के दाम 55 से 60 फीसदी बढ़ गए हैं और गेहूं तथा चीनी भी 8 से 10 फीसदी महंगे हुए हैं। इसलिए हमें उत्पादों के दाम बढ़ाने पड़े हैं।’ फरवरी-मार्च में भी कंपनी ने अपने उत्पादों के दाम 5 से 10 फीसदी बढ़ाए थे।
आईटीसी ने भी बढ़ी लागत का भार कम करने के लिए कुछ उत्पादों के दाम बढ़ाए हैं। आईटीसी ने बयान में कहा, ‘कच्चे माल की लागत काफी बढ़ गई है और पूरे उद्योग को उत्पादें के दाम में इजाफा करना पड़ा है। हालांकि आईटीसी लागत प्रबंधन, अनुकूल कारोबारी मॉडल सहित विभिन्न उपाय भी कर रही है ताकि ग्राहकों पर बढ़ी लागत का पूरा भार न पड़े।’