विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर देश में कई जगह भाषण और कैंपेन के जरिए जागरुकता फैलाई जा रही है। इस साल की थीम- बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन रखी गई है, लेकिन देश में मौजूद कई बड़ी एफएमसीजी कंपनियां प्लास्टिक पॉल्यूशन बढ़ाने की कसूरवार हैं। पेप्सी, पार्ले, ब्रिटानिया, कोका-कोला देश की नामी एफएमसीजी कंपनियां हैं जिनके प्रोडक्ट लोकप्रियता में सबसे आगे हैं। लेकिन यहीं कंपनियां देश की सेहत बिगाड़ने में भी आगे हैं। एनवारमेंटल ऑरगनाइजेशन-ग्लोबल अलायंस फॉर इनसिनिरेटर ऑल्टरनेटिव (GAIA) ने एक ऑडिट में पाया है कि देश की बड़ी एफएमसीजी कंपनियां टॉप प्लास्टिक पॉल्यूटर्स भी हैं। पेप्सिको 24.59 फीसदी सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट पैदा कर मल्टि नेश्नल कंपनियों की इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। इसके बाद 14 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट के साथ परफेटी वैन मेल और 11 फीसदी के साथ यूनिलिवर तीसरे नंबर पर आते हैं। कोका- कोला चौथे और मॉन्डेलीज 5वें पायदान पर हैं। प्लास्टिक पॉल्यूशन बढ़ाने में घरेलू कंपनियों की हिस्सेदारी भी कम नहीं है। पार्ले 10.22 फीसदी सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट पैदा करती है वहीं कनार्टका मिल्क 8.30 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट के लिए जिम्मेदार है। ब्रिटानिया 6.64 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट जनरेट कर इस लिस्ट में तीसरे नम्बर पर आती है तो अमूल और आईटी करीब 5 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट के लिए जिम्मेदार हैं। इस लिस्ट में मदर डेरी, मैक्डोनाल्ड, पीएंडजी और हल्दीराम भी शामिल हैं।
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