मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) (आरबीआई) (RBI) के डेबिट और क्रेडिट कार्ड से किस्तों में भुगतान के संबंध में 1 अप्रैल, 2021 से लागू हो रहे नए नियमों को लेकर पीछे हटने के आसार नहीं हैं। इन नियमों के मुताबिक बैंकों को ऐसे लेनदेन को क्रियान्वित करने से पहले ग्राहकों से बातचीत करनी होगी और उनकी मंजूरी हासिल करनी होगी। आरबीआई (RBI) का मानना है कि उसने बैंकों को नए नियमोंं का पालन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त समय दिया है। ऐेसे में अगर बैंक नियमों का पालन नहीं करते हैं तो नियामक उन पर जुर्माना लगाएगा।
नियम उल्लंघन के प्रत्येक मामले पर पांच लाख रुपये का जुर्माना
आरबीआई (RBI) के नियमों के मुताबिक नियम उल्लंघन के प्रत्येक मामले पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगता है, इसलिए बैंकों के करोड़ों ग्राहकों को देखते हुए जुर्माना काफी भारी हो सकता है। ऐसे में बैंक इस सेवा को तात्कालिक तौर पर बंद करने का फैसलाकर सकते हैं।
किस्त लेनदेन पर ई-स्वीकृति की सीमा बढ़ाई
ये नए नियम आरबीआई (RBI) की तरफ से अगस्त, 2019 में जारी एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (एएफए) का हिस्सा हैं। आरबीआई ने दिसंबर, 2020 में किस्त लेनदेन पर ई-स्वीकृति की सीमा 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये की थी। उस समय इसने कहा था कि अगर इन नियमों का पालन नहीं किया गया तो कार्ड या पीपीआई या यूपीआई के जरिये किस्त लेनदेन (घरेलू या सीमा पार) की प्रोसेसिंग 31 मार्च, 2021 के बाद जारी नहीं रहेगी।
बैंकों को इसके लिए नई तकनीक लाने की जरूरत नहीं…
इस घटनाक्रम से परिचित एक सूत्र ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘बैंकों को इसके लिए नई तकनीक लाने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय यह केवल नीयत का सवाल है। अगर बैंक अपने स्तर पर कदम उठाने के इच्छुक नहीं हैं तो उन्हें आरबीआई (RBI) का भारी जुर्माना झेलना पड़ेगा।’ सूत्र ने कहा कि आरबीआई सहूलियत के बजाय सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंतित है। बीते वर्षों में ऐसे ऑटो डेबिट को लेकर शिकायतें बढ़ी हैं।
लेनदेन खारिज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं
हालांकि यह परिपत्र आरबीआई (RBI) ने काफी समय पहले जारी किया था, लेकिन सभी बैंकों ने इसका पूरी तरह पालन नहीं किया है। इसका ओटीटी प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और विशेष रूप से उन कारोबारियों पर असर पड़ेगा, जो अपनी आमदनी के स्रोत के रूप में किस्त सब्सक्रिप्शन और भुगतानों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। बैंक आरबीआई (RBI) के खिलाफ नहीं जा सकते हैं। इसलिए उनके पास लेनदेन खारिज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। इससे वे 1 अप्रैल से लागू हो रहे नियमों के उल्लंघन से बच जाएंगे।
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