New Delhi. वित्त विधेयक 2023 (finance bill 2023) को लोकसभा (Lok Sabha) ने आज हंगामे के बीच चर्चा के बगैर ही मंजूरी दे दी। हंगामा अदाणी समूह (Adani Group) के खिलाफ आरोपों की जांच की मांग के कारण हो रहा था, जिसके बीच वित्त वर्ष 2024 के लिए कर प्रस्ताव लागू करने वाले विधेयक को मंजूरी मिल गई। इसके हिसाब से निवेशकों पर 1 अप्रैल से भारी कर लगाए जाने हैं। विधेयक में कुल 64 आधिकारिक संशोधनों के प्रस्ताव थे। इनमें डेट म्युचुअल फंड की कुछ श्रेणियों में दीर्घावधि लाभ कर वापस लेने और प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) बढ़ाने का प्रस्ताव शामिल है।
वित्त विधेयक में 10 मुख्य प्रावधान
विधेयक पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा, ‘वित्त विधेयक में 10 मुख्य प्रावधान किए गए हैं, जो मध्य वर्ग ही नहीं सभी को राहत प्रदान करते हैं और व्यापार को सुगम बनाते हैं। 11वें प्रस्ताव को हितधारकों की सलाह से शामिल किया गया है जो विधेयक को सभी के लिए बेहतर बनाने में सहायक हैं।’ एसटीटी पर वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि वायदा सौदों की बिक्री पर प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) मौजूदा 0.05 फीसदी से बढ़ाकर 0.062 फीसदी किया गया है न कि 0.017 फीसदी से बढ़कर 0.021 फीसदी किया गया है, जैसा पिछले संशोधन में उल्लेख किया गया था।
वायदा कारोबारियों के बीच असमंजस की स्थिति
पिछले संशोधन से वायदा कारोबारियों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी क्योंकि वायदा सौदों पर पहले ही 0.05 फीसदी कर वसूला जा रहा था। बाद में मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ‘टाइपिंग में गलती’ की वजह से ऐसा हुआ था। विशेषज्ञों ने कहा कि एसटीटी में इजाफे का असर ज्यादा कारोबार करने वाले ट्रेडरों पर खास तौर पर पड़ेगा। डेलॉयट इंडिया में पार्टनर राजेश गांधी ने कहा, ‘लागत ढांचे में किसी तरह के बदलाव का व्यापक असर पड़ेगा क्योंकि बड़ी मात्रा में खरीद-बिक्री करने वाले ट्रेडर (एचएफटी) मामूली मार्जिन पर कारोबार करते हैं। इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को डेरिवेटिव्स पर पूंजी लाभ कर गणना के दौरान एसटीटी में कटौती का लाभ नहीं मिला।’