कोलकाता.: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे टकराव से भारतीय धातु कंपनियों के लिए निर्यात के मौके पैदा हो सकते हैं। दुनिया में धातुओं की आपूर्ति में रूस का दबदबा है। क्रिसिल रिसर्च के मुताबिक प्राथमिक एल्युमीनियम की वैश्विक आपूर्ति में रूस और यूरोप की संयुक्त रूप से हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी है। रूस इस्पात के मामले में 13 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। तनाव बढऩे से आपूर्ति घटने की आशंका है, जिसकी भरपाई के लिए भारत समेत अन्य निर्यातक देश आगे आ सकते हैं।
क्रिसिल रिसर्च की निदेशक हेतल गांधी ने कहा कि रूस करीब 3 से 3.3 करोड़ टन इस्पात का निर्यात करता है। गांधी ने कहा, ‘अगर टकराव और बढ़ा और उससे आपूर्ति में अवरोध पैदा हुए तो इस कमी की भरपाई भारत जैसे अन्य निर्यातक देशों द्वारा किए जाने के आसार हैं। ऐसे में निर्यात संभावनाएं बढऩे से लघु अवधि में भारतीय इस्पात विनिर्माताओं को फायदा मिलने के आसार हैं।’
खबरों के मुताबिक यूक्रेन के मुख्य इस्पात विनिर्माता शहर मरियूपोल में गुरुवार को बमबारी हुई। जिंदल स्टील ऐंड पावर के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा, ‘मरियूपोल में बहुत सी इस्पात विनिर्माण इकाइयां हैं, जो मुख्य रूप से बिलेट, स्लैब, हॉट रोल्ड कॉइल का निर्यात करती हैं। वे निर्यात करने की स्थिति में नहीं होंगी, जिससे कई देशों में किल्लत पैदा हो सकती है।’ शर्मा ने कहा, ‘भारत के इस्पात उद्योग को अतिरिक्त मांग पूरी करने के लिए उत्पादन 5 से 10 फीसदी बढ़ाना चाहिए। हमें भारत को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को उत्पाद उपलब्ध कराने चाहिए।’ स्टीलमिंट के आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन ने वर्ष 2021 में करीब 15.26 लाख टन इस्पात का निर्यात किया था।
आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी रंजन धर ने कहा कि इस्पात के दो मुख्य निर्यातक रूस और यूक्रेन पहले से ही तुर्की, पश्चिम एशिया और यूरोप को निर्यात करते आए हैं। धर ने भारतीय मिलों के लिए निर्यात के मौकों के बारे में कहा कि फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन अगर इन बाजारों को रूस एवं यूक्रेन से आपूर्ति नहीं होगी तो आपूर्ति के लिए भारत स्वाभाविक पसंद बन सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह इस चीज पर भी निर्भर करेगा कि भारत में अतिरिक्त क्षमता उपलब्ध है या नहीं। धर ने कहा, ‘इस समय भारत में मांग बहुत अच्छी है। हम हमेशा की तरह सबसे पहले घरेलू मांग पूरी करने पर ध्यान देंगे।’ गैर-अलौह धातुओं में इस भू-राजनीतिक संकट का एल्युमीनियम पर सबसे ज्यादा असर पडऩे के आसार हैं।