1874 में स्थापित किया था संयंत्र
दार्जिलिंग की पहाडिय़ों के बीच स्थित यह संयंत्र 1874 में स्थापित किया गया था, लेकिन 2001 से बंद है क्योंकि यह बेहतर उत्पादन कार्यप्रणाली (जीएमपी) का दर्जा हासिल करने में नाकाम रहा। भारत में दवाओं के निर्माण के लिए यह दर्जा जरूरी है। पिछले क्विनोलॉजिस्ट 2012 में सेवानिवृत्त हुए थे।
कोविड-19 के इलाज में कारगर दवा हाइड्रोक्लोरोक्वीन
देश में कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अंग्रेजों के जमाने की इस बीमार इकाई को फि र से शुरू करने की जरूरत महसूस हो रही है। क्लोरोक्वीन की तरह मलेरिया के इलाज में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) को कोविड-19 के इलाज में कारगर (Hydro chloroquine, an effective drug in the treatment of covid-19) माना जा रहा है। क्लोरोक्वीन कुनैन का सिंथेटिक रूप है। इसका कम विषाक्त और उन्नत संस्करण ही एचसीक्यू
है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने शुरू किया कुनैन संयंत्र
कोविड-19 महामारी फैलने से बहुत पहले ही पश्चिम बंगाल सरकार ने इस कुनैन संयंत्र के पुनरुद्घार का काम शुरू कर दिया था। हालांकि एचसीक्यू कम से कम दुष्प्रभावों के साथ मलेरिया का इलाज करता है, जिसके कारण कहा जा रहा है कि कुनैन संयंत्र से बड़े पैमाने पर उत्पादन की क्या तुक है।