कोलकाता| एवरेडी इंडस्ट्रीज इंडिया की बैटरी कारोबार बेचने की योजना खटाई में पड़ सकती है। इसकी वजह यह है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कंपनी की परिसंपत्तियों की बिक्री पर अस्थायी रोक लगाई है। आईएलऐंडएफएस फाइनैंशियल सर्विसेज ने एवरेडी पर अपना बकाया वसूलने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर न्यायालय ने यह आदेश दिया। विलियमसन मैगर ग्रुप (डब्ल्यूएमजी) की कंपनी एवरेडी ने अपना बैटरी कारोबार बेचने के लिए
ड्यूरासेल ने 1,700 करोड़ रुपये की पेशकश की
इसी साल एनरजाइजर और ड्यूरासेल सहित कई कंपनियों के साथ बातचीत शुरू की थी। इसका मकसद समूह का कर्ज कम करना था। पिछले सप्ताह कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को बताया कि इस बारे में अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस होड़ में ड्यूरासेल सबसे आगे है और उसने 1,600 से 1,700 करोड़ रुपये की पेशकश की है। लेकिन कानूनी अड़चन से इस बिक्री योजना में देरी हो सकती है।न्यायालय ने 3 सितंबर को अपने अंतरिम आदेश में कहा कि आईएलऐंडएफएस की याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक डब्ल्यूएमजी की निवेश कंपनी विलयमसन मैगर ऐंड कंपनी, थोक चाय कंपनी मैकलॉयड रसेल और बैटरी बनाने वाली कंपनी एवरेडी इंडस्ट्रीज इंडिया पर अपनी चल और अचल परिसंपत्तियों का हस्तांतरण और बिक्री नहीं कर सकती हैं।
100 करोड़ रुपये किए निवेश
मैकलॉयड और एवरेडी ने न्यायालय के आदेश पर अमल रोकने का अनुरोध किया था लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। डब्ल्यूएमजी की कंपनियां इस आदेश के खिलाफ अपील दायर कर सकती हैं क्योंकि आईएलऐंडएफएस के साथ हुए करार में मैकलॉयड और एवरेडी दोनों शामिल नहीं थीं। एवरेडी ने इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं की। हालांकि न्यायालय ने कहा कि डब्ल्यूएमजी का घटक होने के कारण मैकलॉयड और एवरेडी पुट ऑप्शन एग्रीमेंट के तहत बकाये का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हैं। आईएलऐंडएफएस ने विलियमसन मैगर ऐंड कंपनी के जरिये डब्ल्यूएमजी को 170 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। फरवरी 2018 में डब्ल्यूएमजी ने एक बार फिर आईएलऐंडएफएस से वित्तीय मदद मांगी। आईएलऐंडएफएस ने मैकनेली भारत इंजीनियरिंग कंपनी के अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय तरजीही शेयरों (सीसीपीएस) में 100 करोड़ रुपये निवेश किए।