नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) कर्मचारी भविष्य निधि (Employee provident fund) (ईपीएफ) (EPF) के नियमों में खास बदलाव करने की योजना बना रही है ताकि वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) के जरिये इनका पैसा नकदी की किल्लत झेल रहे बुनियादी ढांचा क्षेत्र में लगाया जा सके। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के एक अधिकारी ने बताया कि यह योजना घरेलू बचत और संपत्तियों को बुनियादी ढांचा क्षेत्र में लगाने की केंद्र की रणनीति का ही हिस्सा है। इस रणनीति का मकसद विदेशी निवेशकों पर इस क्षेत्र की निर्भरता कम करना है।
ईपीएफओ… 20 से 45 फीसदी डेट योजनाओं में निवेश
शुरुआती अनुमान बताते हैं कि सरकार इन निधियों के लिए निवेश के कायदों में ढील देती है तो करीब 16 लाख करोड़ रुपये की घरेलू परिसंपत्तियां बुनियादी ढांचा क्षेत्र में लग सकती हैं। पता चला है कि केंद्र सरकार इस बारे में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labor and Employment), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), पेंशन एवं बीमा नियामकों समेत सभी संबंधित संस्थाओं से बात कर रही है।
ईपीएफओ 20 से 45 फीसदी डेट योजनाओं में निवेश!
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) की सलाह के बाद श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने निवेश की जो व्यवस्था तैयार की है, उसके मुताबिक ईपीएफओ अपने वृद्घिशील कोष (1.5 लाख करोड़ रुपये) का 20 से 45 फीसदी डेट योजनाओं में निवेश कर सकता है। इसमें निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और फंड कंपनियों द्वारा जारी बॉन्ड शामिल हैं।
एआईएफ में कर से जुड़े मसलों समेत कुछ समस्याओं का हल
योजना का ब्योरा देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में कई ऐसे उत्पाद आए हैं, जहां नियम बदलने या ठीक करने की जरूरत है। उदाहरण के लिए नियामकों को एआईएफ में कर से जुड़े मसलों समेत कुछ समस्याओं का हल निकालना होगा।