मुंबई। इक्विटी म्युचुअल फंड (Equity mutual fund) (एमएफ) शेयर बाजारों के लिए पूंजी का अच्छा स्रोत साबित हुए हैं। इक्विटी म्युचुअल फंडों (Equity mutual fund) में छोटे निवेशकों के लिए औसत निवेश अवधि 55.3 प्रतिशत मामलों में 24 महीने से ज्यादा है। वहीं एक साल पहले यह अनुपात 48.7 प्रतिशत था। इससे पता चलता है कि लंबे निवेश पर जोर देने वाले निवेशकों का प्रतिशत सुधरा है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि शेयर कीमतों में शानदार तेजी और जागरूकता में सुधार से निवेशकों के लिए निवेश अवधि में इजाफा करने में मदद मिली है।
रिटेल इक्विटी परिसंपत्ति में 3.5 लाख करोड़ रुपये की पूंजी बनाए रखी निवेशित
भारत में म्युचुअल फंडों (Equity mutual fund) के संगठन एम्फी के आंकड़े से पता चलता है कि 6.36 लाख करोड़ रुपये की कुल रिटेल इक्विटी परिसंपत्ति में 3.5 लाख करोड़ रुपये की पूंजी निवेशकों ने दो साल से ज्यादा समय तक निवेशित बनाए रखी है। लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखने के लिए छोटे निवेशकों की क्षमता अमीर निवेशकों (एचएनआई) के मुकाबले ज्यादा है। एम्फी के आंकड़े से पता चला है कि एचएनआई से संबंधित सिर्फ 47.11 प्रतिशत परिसंपत्तियों की निवेश अवधि दो साल से ज्यादा थी।
इक्विटी एमएफ अल्पावधि उत्पाद नहीं बल्कि दीर्घावधि योजनाएं
क्वांटम एएमसी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी जिमी पटेल ने कहा, ‘एमएफ बचत का माध्यम हैं और इसके जरिये पूंजी बढ़ाने का रुझान तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। निवेशक यह समझे लगे हैं कि इक्विटी एमएफ (Equity mutual fund) अल्पावधि उत्पाद नहीं बल्कि दीर्घावधि योजनाएं हैं, और इनमें निवेश अक्सर तीन साल से ज्यादा समय तक बनाए रखने की जरूरत होती है।’
कुछ ही सत्रों में 30 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट
विश्लेषकों का कहना है कि पिछले साल मार्च में इक्विटी बाजार (Equity mutual fund) में एक बार हुई भारी बिकवाली के बावजूद होल्डिंग अवधि में वृद्घि इसका संकेत है कि छोटे निवेशक अब समझदार हो गए हैं। बाजारों में पिछले साल इन आशंकाओं के बीच सिर्फ कुछ ही सत्रों में 30 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट देखी गई कि कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। निवेशकों में अक्सर भयभीत होने और ऐसे समय में बिकवाली करने की प्रवृत्ति रहती है। हालांकि कोविड-19 (Covid-19) के निचले स्तरों से भारी तेजी को देखते हुए निवेश से जुड़े रहना लाभदायक साबित होगा।