नई दिल्ली : सरकार ने भारत के मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) साझेदारों, खास तौर पर आसियान देशों से कुछ खास इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर उत्पादों के आयात में कमी दर्ज की है। यह असर तब दिखा है, जब सरकार ने तरजीही शुल्क लाभों का दावा करने के लिए मूल देश के प्रमाण के अलावा दस्तावेज अनिवार्य बनाने का फैसला किया। वित्त वर्ष 2021 के बजट में भारत के सीमा शुल्क अधिनियम में संशोधन के बाद वित्त मंत्रालय ने सीमा शुल्क (व्यापार समझौतों के तहत मूल उत्पत्ति के नियमों का प्रशासन) नियम 2020 (कारोटार) के तहत अधिसूचना जारी की थी।इसमें एफटीए के तहत शुल्क लाभों का दावा करने के लिए आम तौर पेश किए जाने वाले मूल विनिर्माण के देश के अलावा दस्तावेजों को अनिवार्य बनाया गया था।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन विवेक जौहरी ने किसी देश का नाम लिए बिना बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमें पक्का विश्वास था कि एफटीए का दुरुपयोग किया जा रहा है। कुछ ऐसे उत्पाद हैं, जिन पर हमारी नजर थी। हमने जो कदम उठाए, उनसे आयात, खास तौर पर इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर के आयात में गिरावट दर्ज की गई है।’ घरेलू उद्योग की यह आम शिकायत रही है कि चीन के उत्पादों को आसियान देशों के रास्ते भेजा जा रहा है। इससे मूल विनिर्माण के देश के नियमों का उल्लंघन हो रहा है, जिनके तहत निर्यातक व्यापार साझेदार की तरफ से खासा मूल्य संवद्र्घन आवश्यक है। व्यापार के आंकड़ों से पता चलता है कि टेलीफोन एंटिना, वायरलेस नेटवर्क के लिए टेलीफोन, मोबाइल टावर, हेडफोन, सेट टॉप बॉक्स, डिजिटल कैमरा रिकॉर्डर आदि के आयात में 2021 में काफी गिरावट आई है।
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली औद्योगिक संस्था एमएआईटी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) जॉर्ज पॉल ने कहा, ‘हमें आसियान एफटीए में सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा था, जिसमें आसियान देशों से बड़ी तादाद में इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद आ रहे थे। यह मानने की पुख्ता वजह थी कि एफटीए का फायदा उठाने के लिए उत्पाद इन देशों के जरिये भेजे जा रहे हैं। आज आयात घट गया है, जिसका घरेलू उद्योग को फायदा मिल रहा है।’ जौहरी ने कहा कि कारोटार आयातकों को यह बात समझाने में मददगार रहा है कि वे जब एफटीए के लाभों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्हें खुद इस बात का यकीन होना चाहिए कि मूल विनिर्माण के देश के नियमों का असल में पालन हो रहा है।