jaipur. वर्ष 2021 दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन खुदरा विक्रेता कंपनी एमेजॉन के लिए एक बड़े उतार-चढ़ाव वाली सवारी से कम नहीं है। हालांकि कंपनी ने रविवार को अपने सालाना ‘ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल 2021’ की शुरुआत की है। एमेजॉन और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी फ्लिपकार्ट जैसी वैश्विक स्तर की ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनियों के लिए भारत में कारोबार करना अब आसान नहीं रहा है। कानूनी लड़ाई में उलझने, ऑफलाइन कारोबारियों के घरेलू कानूनों को दरकिनार करने के आरोपों से निपटने से लेकर, बदलती नीतियों से जूझने के साथ ही इन कंपनियों को आगे आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना पड़ता है। मीडिया मंच, ‘द मॉर्निंग कॉन्टेक्स्ट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले महीने, एमेजॉन ने भारत में अपने कानूनी प्रतिनिधियों के बरताव की जांच शुरू की। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह जांच एक व्हिसल ब्लोअर की शिकायत के आधार पर हुई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि एमेजॉन द्वारा कानूनी शुल्क के तौर पर भुगतान किए गए पैसे को उसके एक या अधिक कानूनी प्रतिनिधियों द्वारा रिश्वत के तौर पर दिया गया है। इसके बाद, एमेजॉन ने एक मीडिया मंच की रिपोर्ट का जवाब देते हुए कहा कि रिश्वतखोरी बिल्कुल बरदाश्त नहीं की जाएगी और भ्रष्टाचार के सभी आरोपों की पूरी तरह से जांच की जाएगी और साथ ही कंपनी ने भ्रष्टाचार के दावों की आंतरिक जांच शुरू कर दी है।
सरकार ने इस मामले पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कई मौकों पर कहा है कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक खुदरा विक्रेताओं (ई-टेलर) द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश)एफडीआई) नीति का अक्षरश: पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि नकदी से भरपूर ई-कॉमर्स कंपनियां भारत के लाखों छोटे खुदरा स्टोरों की आजीविका के लिए भी खतरा हैं। फ्लिपकार्ट के साथ-साथ एमेजॉन भी भारत में चल रही ऐंटीट्रस्ट जांच का विषय है। इसके अलावा, इस साल फरवरी में रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में आंतरिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए सुझाव दिया गया था कि एमेजॉन ने ई-कॉमर्स में एफडीआई से जुड़े स्थानीय कानूनों को दरकिनार कर दिया और अपने भारत के मंच पर विक्रेताओं के एक छोटे समूह को तरजीह दे रही है।
भारत में विदेशी निवेश कानून के तहत खुदरा व्यापार में निवेश पर प्रतिबंध है। विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देशों जैसे विकसित देशों में अपनाए जाने वाले इन्वेंट्री-आधारित या बिजनेस-टू-कंज्यूमर मॉडल के विपरीत, ई-कॉमर्स कंपनियां भारत में एक बाजार के रूप में काम कर रही हैं और लंबे समय से तर्क दिया गया है कि वे सीधे तौर पर खुदरा व्यापार में शामिल नहीं हैं।