डॉ. अनुराग बत्रा (Dr. Anurag Batra), चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप
जयपुर। चुप रहने से ज्यादा किसी मुद्दे पर अपनी आवाज उठाना ज्यादा सही है। मीडिया में मेरे मित्रों, यह समय आगे बढ़कर अपनी बात रखने का है। इसे अपने लोकतंत्र के लिए काला दिवस कहा जा सकता है और इस तरह का कृत्य कल को किसी दूसरे के घर को भी निशाना बना सकता है। हमारे लोकतंत्र में, कानून का शासन सर्वोपरि है और यह सिर्फ मीडिया प्रोफेशनल्स और पत्रकारों पर सबसे ज्यादा लागू होता है। इसलिए, मीडिया और देश में हम सभी के लिए अरनब गोस्वामी को गिरफ्तारी के दौरान घसीटे जाने और उनसे दुर्व्यवहार किए जाने के जो दृश्य देखने को मिले हैं, उनके खिलाफ आगे आना चाहिए। अरनब गोस्वामी (Arnab Goswami) की गिरफ्तारी के दौरान जिस तरह के दृश्य देखने को मिले, वह मुझे काफी हैरान और परेशान करने वाले लगे।
टीआरपी पर विवाद.. न्यूज चैनल्स व मीडिया संगठनों के बीच झगड़ा
पिछले करीब आठ हफ्तों से टीआरपी पर विवाद और न्यूज चैनल्स व मीडिया संगठनों के बीच झगड़ा देखने को मिल रहा है, लेकिन एक्सचेंज4मीडिया (Exchange4Media) के रूप में हमने तथ्यात्मक और संतुलित रुख अपनाए रखा है। हमारा मानना है कि सही चीजों को सही कारण के लिए और सही तरीके से करना चाहिए और हमने वही किया है। हालांकि आज जो कुछ भी हुआ, वह काफी डराने वाला है। हम इस तरह के दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं। अगर मुंबई में अरनब के साथ ऐसा हो सकता है तो नोएडा में किसी भी मीडिया मालिक या संपादक, पत्रकार या देश के किसी भी हिस्से में किसी भी अन्य मीडिया पेशेवर के साथ ऐसा हो सकता है।
इससे बुरी मिसाल नहीं हो सकती
मैंने एक सम्मानित मीडिया कंपनी के और बेहद ही संतुलित सीईओ को फोन किया, जिन्हें मैं अपना मित्र कहता हूं और उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे यह कॉलम नहीं लिखना चाहिए। उन सीईओ ने मुझसे कहा कि उन्हें (अरनब को) आत्महत्या के एक पुराने मामले में गिरफ्तार किया गया है। मैं अपने दोस्त और आप सभी से कहता हूं कि आज जो कुछ हुआ और पुराने मामले को महत्वहीन नहीं बताया जाना चाहिए और इसे प्राथमिकता के तौर पर देखा जाना चाहिए। यह पुराना केस था जिसे बंद कर दिया गया था। लोग ये मानेंगे कि इसे सामान्य के अलावा अन्य कारणों से फिर से खोला गया।
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