नई दिल्ली. इस साल के चुनावी अभियान से 2000 चैनलों वाले मजबूत स्थानीय केबल उद्योग को 50 करोड़ रुपये तक के विज्ञापन राजस्व से बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह विज्ञापन राजस्व मुख्यतौर पर राष्ट्रीय दलों से मिलेगी। स्थानीय केबल चैनलों का संचालन मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स और स्थानीय केबल ऑपरेटर्स के द्वारा होता है और यह सामान्यतौर पर छोटे भौगोलिक क्षेत्र आमतौर पर एक जिले को कवर करता है। जिस साल चुनाव नहीं होता है उस वक्त स्थानीय केबल चैनलों पर कुल विज्ञापन खर्च करीब 60-70 करोड़ रुपये है। मीडिया योजनाकार और खरीदारी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हाल में खत्म हुए राज्य चुनाव के दौरान ही राष्ट्रीय दलों, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने स्थानीय केबल चैनल पर विज्ञापन के लिए 8-10 करोड़ रुपये खर्च किए। सोशल मीडिया मंच फेसबुक द्वारा जारी विज्ञापन आंकड़ों के मुताबिक भाजपा ने केवल फरवरी में ही फेसबुक विज्ञापन पर 4 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। राजनीतिक विज्ञापन अमूमन चार महीने तक चलते हैं ऐसे में यह उम्मीद की जाती है कि राजनीतिक दल हर महीने स्थानीय केबल चैनलों पर लगभग इतनी ही रकम खर्च कर सकते हैं जैसा कि वे फेसबुक पर खर्च कर रहे हैं। देश में करीब 2000 केबल चैनल हैं जिनमें से करीब 1100 विभिन्न भाषाओं वाले फिल्म चैनल हैं। बाकी चैनलों में करीब 220 समाचार चैनल हैं जो विभिन्न भाषाओं में हैं और दर्शकों को उनके स्थानीय क्षेत्र से जुड़े समाचार दिए जाते हैं। राजनीतिक दल मनोरंजन चैलों के साथ-साथ इन समाचार चैनलों का इस्तेमाल अपने प्रचार-प्रसार और चुनावी एजेंडे के लिए करते हैं। केबल चैनलों पर खरीदारी करने और मीडिया योजना में विशेषज्ञता रखने वाली एक एजेंसी ‘अपडेट एडवर्टाइजिंग’ के संस्थापक और प्रबंध निदेशक शरद अल्वे कहते हैं केबल चैनल स्थानीय होते हैं। ऐसे में उनकी निर्वाचन क्षेत्रों तक पहुंच होती है। इसी वजह से राष्ट्रीय स्तर की सोच और स्थानीय स्तर पर काम अहम हो जाता है ताकि राष्ट्रीय एजेंडे से जुड़े विशेष मुद्दे जो निर्वाचन क्षेत्र के लिए अहम हों उन पर सीमित चैनलों वाले केबल नेटवर्क के जरिये काम किया जा सके। राष्ट्रीय सैटेलाइट चैनलों का इस्तेमाल राष्ट्रीय एजेंडे की प्राथमिकता तय करने के लिए किया जा सकता है जबकि स्थानीय केबल नेटवर्क का इस्तेमाल उम्मीदवार की ताकत केआधार पर स्थानीय मुद्दों को उजागर करने के लिए किया जा सकता है। स्थानीय केबल चैनलों का इस्तेमाल किसी निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवार के काम को दिखाने या पार्टी के लिए किया जा सकता है। स्थानीय केबल चैनल अक्सर ज्यादा परंपरागत मीडिया मंचों की जगह ले लेते हैं जो कई वजहों से उपलब्ध नहीं हो सकता है। मिसाल के तौर पर पिछले साल छत्तीसगढ़ राज्य के चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों ने मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाने के लिए केबल चैनलों का इस्तेमाल किया। इसकी वजह यह भी है कि राज्य के कई इलाके में काफी हद तक आउटडोर विज्ञापन संभव नहीं है। पिछले दशक के दौरान केबल चैनलों के प्रसार को देखते हुए यह अनुमान है कि देश के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 20-25 स्थानीय केबल चैनल हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा के आधार पर प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र को स्थानीय तरीके से लक्षित किया जा सकता है यानी इन निर्वाचन क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को अच्छी तरह से उजागर किया जा सकता है। एक अन्य योजनाकार कहते हैं स्थानीय केबल चैनलों के साथ सबसे बड़ा फायदा यह है कि उनकी पहुंच स्थानीय होती है। केबल चैनल मूल केबल नेटवर्क से जुड़े होते हैं ऐसे में चैनलों की पहुंच के दायरे को देखते हुए वितरक (केबल ऑपरेटर) के बेस पैक का हिस्सा होते हैं। केबल चैनलों का इस्तेमाल बढ़ता जाता है जब लोग मेट्रो से बाहर निकलते हैं क्योंकि उन्हें ऐसी सामग्री देखनी होती है जो उनसे संबंधित होती है। राष्ट्रीय स्तर की खबरों को लोग मेट्रो से इतर भी करते हैं जबकि स्थानीय खबरों को भी लोग बड़े उत्साह से देखते हैं। कुछ सालों से इन चैनलों को विशेषज्ञ एजेंसियों मसलन अपडेट एडवर्टाइजिंग का साथ है जिन्होंने राजनीतिक दलों के विज्ञापन के तरीकों में नयापन लाने की कोशिश की है। इनमें वाणिज्यिक और ब्रांडेड विज्ञापनों के अलावा इपीजी (इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्रामिंग गाइड) का इस्तेमाल करने वाले बैनर विज्ञापन शामिल हैं। इसके अलावा राजनीतिक दल भी इन चैनलों पर इवेंट कवर करा सकते हैं और अपने प्रायोजक उम्मीदवारों से चर्चा करा सकते हैं। इस लिहाज से देश के राजनीतिक दल आज जिस तरह प्रचार-प्रसार करते हैं वह ब्रिटेन और अमेरिकी चुनाव की तर्ज पर ही हो रहा है।
Tags discuss of channel in election election region hindi news for election hindi samachar rajkaj news
Check Also
प्रत्येक ब्लॉक में महिला ग्राम सेवा सहकारी समिति का होगा गठन
मुख्यमंत्री ने किया प्रारूप का अनुमोदन, 10.53 करोड़ रुपए अंशदान राशि राज्य सरकार करेगी वहन …