नई दिल्ली. इस चुनावी सीजन में देश के राजनीतिक दलों ने तकनीकी युद्ध छेडऩे की योजना बनाई है। देश के दो राष्ट्रीय दलों सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल कांग्रेस ने अपना चुनावी घोषणापत्र जारी कर दिया है और अब वे अपने डिजिटल हथियार के जरिये एक-दूसरे पर तकनीक के लोकतंत्रीकरण के वादे पर एक-दूसरे से बेहतर काम करने की कोशिश में हैं। बेहतर बुनियादी ढांचे, नौकरी और शिक्षा का वादा करने के साथ ही दोनों दल सेवाओं के डिजिटलीकरण, नई अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप संस्कृति और उद्यमशीलता के एजेंडे को बढ़ावा देने पर भी काम कर रही हैं।
डिजिटल इंडिया नाकाम!
डिजिटल इंडिया पहल की सफलता को बताते हुए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सोमवार को अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया जिसमें इसके विजन 2022 की योजना का खाका है। सरकार के आखिरी पांच पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट में डिजिटल प्रसार एक अहम पहलू बनाया रहा और यह पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में हर जगह नजर आ रहा है। कृषि, सामाजिक सेवा, शिक्षा, रक्षा और डिजिटल नकदी को बढ़ावा देने के साथ ही हरेक ग्राम पंचायत को इंटरनेट से जोडऩे की कवायद के साथ ही पार्टी अपने 2014 के एजेंडे को बढ़ा रही है। कृषि और डिजिटल गवर्नेंस में तकनीक को शामिल करना सरकार की प्राथमिकता प्रतीत होती है। भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण को पूरा करने, एक से पांच साल तक के लिए किसान क्रेडिट कार्ड के एक लाख रुपये तक के कर्ज का शून्य फीसदी ब्याज दर पर ऑनलाइन वितरण करने, ई-नाम के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वसूली के लिए पर्याप्त बाजार, प्रधानमंत्री आशा योजना जैसी कुछ ऐसी योजनाएं हैं जिन पर भाजपा काम करने की योजना में है। घोषणापत्र में डिजिटल प्रशासन कार्यक्रम के तहत सरकार के साथ नागरिकों के संवाद को सरल बनाने के लिए एक समिति (सीईसीआईजी) गठित करने की योजना भी है। इसने विशेषज्ञों के साथ काम कर नागरिकों और उद्योग के साथ बेहतर संवाद करने की योजना बनाई है। डिजिटल इंडिया अभियान की परिकल्पना एक ऐसे मुख्य योजना के तौर पर की गई थी जिसमें देश को डिजिटल समाज बनाने के कई पहलू शामिल हों। जारी योजना के लिए शुरुआती खर्च एक लाख करोड़ रुपये था जबकि नई योजना में खर्च का खाका 13000 करोड़ रुपये है। कांग्रेस के घोषणापत्र में भाजपा सरकार की प्रमुख योजनाओं, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया को बड़ी नाकामी बताया गया है। कांग्रेस के घोषणापत्र में ऐसा दावा किया गया है कि राहुल गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी का पूरा जोर कारोबार को प्रोत्साहित करना है।
लोकप्रिय धारणा पर जोर
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि पार्टी उद्यमियों के लिए 50 लाख रुपये तक का जमानत मुक्त कर्ज देगी। साथ ही यह स्टार्टअप द्वारा लिए गए कर्ज की गारंटी भी लेगी। हालांकि उद्योग के विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि सरकार को उन चीजों पर काम करने की जरूरत है जिसका वादा पहले किया गया था। कई लोगों का दावा है कि घोषणापत्र में शामिल किए मुद्दे जमीनी हकीकत के अनुरूप नहीं हैं। इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन का कहना है हम निराशा जाहिर करते हैं क्योंकि इसमें डिजिटल अधिकार, अभिव्यक्ति, निजता सुरक्षा, नेट निरपेक्षता या दीर्घकालिक नवोन्मेष पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। हम इस बात को लेकर असंतुष्ट हैं कि डिजिटल अधिकार के मसौदे को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। वहीं कांग्रेस ने ऐंजल टैक्स योजना को पूरी तरह से खत्म करने जैसे मुद्दे की लोकप्रिय धारणा को स्वर दिया है। कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया कांग्रेस निजी क्षेत्र को पूरा समर्थन देना चाहती है और यह उद्यमियों में उत्साह जगाना चाहती है। इसके अलावा इसने पेटेंट कानून को भी मजबूत बनाने की बात की है जो सॉफ्टवेयर उत्पाद स्टार्टअप के लिए अहम है। इसके जरिये भारतीय अन्वेषकों को समर्थन देने की कोशिश होगी। कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया है हम एक पेटेंट पूल तैयार करेंगे और पेटेंट हासिल करने के साथ ही किफायती लागत पर पेटेंट की गई तकनीक की कारोबार तक पहुंच बनाने की अनुमति देंगे। इसमें विज्ञान और तकनीक पर खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का दो फीसदी करने की योजना का जिक्र भी किया गया है। कांग्रेस ने नागरिकों के डिजिटल अधिकार के साथ ही सबके लिए किफायती दरों पर उच्च गुणवत्ता वाले इंटरनेट का वादा भी किया है। इसने नेट निरपेक्षता के सिद्धांत को भी समर्थन देने का वादा किया है ताकि इंटरनेट समानता स्थापित करने में कारगर हो और यह इंटरनेट को बंद करने की ताकत का नियमन कर पाए।