jaipur: इस दीवाली पर हम एक नए दूरसंचार युग में होंगे और उसकी उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। 5जी सेवाएं शुरू होने के बाद आने वाले बदलाव में न केवल इंटरनेट की गति में काफी अधिक इजाफा होगा बल्कि प्रति उपभोक्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। यह एक ऐसा मानक है जो दूरसंचार कंपनियों और दूरसंचार क्षेत्र की सेहत को परखता है। भारत में प्रति माह एआरपीयू दुनिया में सबसे कम वाली श्रेणी में रहा है और दूरसंचार कंपनियों ने लगातार कोशिश की है कि इसमें सुधार करके इस क्षेत्र को नए सिरे से संवारा जा सके।
इस तमाम बातचीत के बावजूद दूरसंचार कंपनियों के लिए एआरपीयू में इजाफा निहायत कम रहा है। इसकी वजह यह डर है कि प्रतिस्पर्धा के कारण कीमतें कम होने से उपभोक्ता दूर होंगे। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने शुल्क दरों में मामूली इजाफा करने की दिशा में छोटे कदम भी नहीं उठाए। देश की बड़ी दूरसंचार कंपनियों के लिए भी प्रति माह एआरपीयू 200 रुपये से कम है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के अंतिम आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2022 में उद्योग जगत का औसत 127.12 रुपये प्रति माह था। रिलायंस और भारती समूहों के वित्तीय नतीजों के मुताबिक जून में समाप्त तिमाही में जियो का एआरपीयू 175.7 रुपये और एयरटेल का 183 रुपये प्रति माह था। शीर्ष दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो का एआरपीयू पिछले साल की समान अवधि की तुलना में केवल 4.8 फीसदी बढ़ा।