नई दिल्ली. देश में गाड़ियों का स्टॉक बढ़ रहा है। इसे देखते हुए ऑटोमोबाइल डीलर्स ने कंपनियों से प्रॉडक्शन और गाड़ियों के स्टॉक को घटाने की अपील की है। पिछले कुछ महीनों में कमजोर मांग के कारण डीलरशिप लेवल पर गाड़ियों का स्टॉक बढ़ा है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने बताया कि अभी 50-60 दिनों का पैसेंजर वीइकल का स्टॉक है। टू-वीलर्स के मामले में तो यह 80-90 दिनों तक पहुंच गया है। कमर्शल वीइकल की इनवेंटरी भी 45-50 दिनों की है। फेडरेशन के अध्यक्ष आशीष काले ने बताया टू-वीलर्स का स्टॉक खतरनाक लेवल पर पहुंच गया है। कुछ क्षेत्रों में तो डीलरशिप लेवल पर स्टॉक 100 दिनों का हो गया है। उन्होंने कहा कि पहले हमने कभी इनवेंटरी इतने ऊंचे स्तर पर पहुंचने की बात नहीं सुनी थी। हाल में कई वजहों से डीलरों की लागत बढ़ी है। उन्हें अधिक वर्किंग कैपिटल जुटाना पड़ रहा है। वह भी ऐसे दौर में जब सिस्टम में कैश की कमी है। ऐसी स्थिति में गाड़ियों का बड़ा स्टॉक मेनटेन करने से उनका खर्च बढ़ रहा है और मांग अभी भी कमजोर बनी हुई है। काले ने बताया कि इस स्थिति में डीलर मार्च और अप्रैल में अपनी इनवेंटरी घटाना चाहते हैं।
रिटेल लेवल पर मांग कम
पिछले महीने गाड़ियों की मांग रिटेल लेवल पर कम हो गई थी। कैश की कमी के चलते ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते लोगों ने गाड़ियां खरीदना बंद कर दिया था। एफएडीए के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में पैसेंजर वीइकल का रजिस्ट्रेशन 8.25 पर्सेंट कम होकर 215276 यूनिट्स रह गया था। कमर्शल वीइकल का रजिस्ट्रेशन भी 7.08 पर्सेंट की गिरावट के साथ 61134 यूनिट्स पर आ गया था। उधर टू-वीलर्स का रजिस्ट्रेशन 7.97 पर्सेंट की गिरावट के साथ 1125405 यूनिट्स रहा था। काले ने बताया जनवरी में पैसेंजर वीइलक की बिक्री बढ़ी थी। उसकी वजह पिछले साल के मॉडल की महीने के अंत में कम दाम पर बिक्री थी। कुछ नए लॉन्च भी हुए थे जिनसे ग्राहकों की दिलचस्पी बढ़ी थी। उसके बाद से इंडस्ट्री फिर से सुस्ती की चपेट में आ गई है। ऑटो कंपनियों के लिए फरवरी का महीना वित्त वर्ष 2019 का सबसे सुस्त रहा है।