Jaipur. देश का भुगतान उद्योग इस समय दोराहे पर खड़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भुगतान सेवा प्रदाताओं की दो महत्त्वपूर्ण मसलों पर एक राय नहीं है और इससे भी जटिल समस्या यह है कि इनमें किसी भी मसले का तत्काल समाधान मिलता नहीं दिख रहा है।
भारत में ग्राहकों को सुविधा एवं सुरक्षा में कोई एक विकल्प चुनना होगा और यह भी तब होगा जब बैंकिंग नियामक और भुगतान सेवा प्रदाता कोई न कोई समाधान खोज लेते हैं। इतना तो तय है कि बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाता कंपनियों का नियमन करने वाले आरबीआई का निर्णय बाध्यकारी होगा मगर देखना यह होगा कि वह इसमें लचीला रुख अपनाता है या अपने कड़े रुख पर कायम रहता है।
वास्तव में जिन दो विषयों पर मतभेद उभरे हैं वे दिखते तो समान हैं लेकिन वास्तव में अलग-अलग हैं। आरबीआई टोकनाइजेशन या क्रेडिट/डेबिट कार्ड संख्या, वैधता तिथि और सीवीवी गोपनीय रखने के मसले पर अपना रवैया नरम नहीं करना चाहता है। उसका कहना है कि भुगतान सेवा प्रदाता ग्राहकों के कार्ड की जानकारी अपन पास नहीं रख सकते हैं। इससे कई लोगों, खासकर ई-कॉमर्स कंपनियों के पोर्टल पर खरीदारी करने वाले ग्राहकों को असुविधा हो सकती है। इस समय ग्राहक कार्ड से जुड़ी जानकारियां ई-कॉमर्स पोर्टल पर संग्रहित किए जाने की अनुमति दे देते हैं और लेनदेन के वक्त केवल सीवीवी और वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) दर्ज दर्ज करते हैं।