आठ माह बाद सरकार ने अपने ही फैसले को पलट दिया
प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने अपने ही फैसले पर यू-टर्न लेते हुए अब स्थानीय निकाय चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय किया है. प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद गहलोत कैबिनेट ने अपनी पहली बैठक में स्थानीय निकाय के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का फैसला लिया गया था. लेकिन आठ माह बाद सरकार ने अब अपने ही फैसले को पलट दिया है. अब पार्षद ही निकाय प्रमुख और महापौर का चुनाव करेंगे. इसके पीछे स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने कई कारण गिनाए हैं.
बीजेपी हिंसा का माहौल बनाने की कोशिश कर रही : धारीवाल
सोमवार को सीएमओ में सीएम अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि चुनाव में हारने की डर की वजह से यह फैसला नहीं लिया है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव में हिंसा फैला सकता था. शांति, समरसता और भाईचारा बना रहे इसलिए हमने अपना फैसला पलटा है. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक माहौल को देखते हुए प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराना संभव नहीं है. प्रत्यक्ष प्रणाली से जनता में भय और आक्रोश और हिंसा का माहौल देखने को मिलता है. उन्होंने सीधे बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि वह हिंसा का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है.
धारा 370 हटाये जाने के बाद महौल बदला : भाजपा
वहीं भाजपा ने कांग्रेस सरकार के इस निर्णय को लेकर हमला बोला है. भाजपा के नेताओं का कहना है कि जिस तरह से सरकार ने अपने ही फैसले को बदला है उससे साफ है कि सरकार की हालत खास्ता है. धारा 370 हटाये जाने के बाद जो महौल बदला है, साथ ही राजस्थान में कांग्रेस सरकार में बढ़ते अपराध से जनता में नाराजगी है.ऐसे में कांग्रेस सीधे चुनाव कराने से डर गई. उल्लेखनीय है कि राजस्थान के 193 निकायों में 4 चरणों में इस वर्ष के अंत से चुनाव होने हैं. इसके तहत पहले चरण में 52 निकायों में इसी वर्ष नवंबर में चुनाव होना प्रस्तावित है. पहले चरण में 46 पुराने और 6 नए निकाय शामिल हैं. इस चरण में नसीराबाद, थानागाजी, परतापुर-गढ़ी, रूपवास, महुवा और खाटूश्यामजी जैसे नए गठित किए गए निकाय भी शामिल हैं. इन निकायों में वार्डों का फिर से सीमांकन पूरा हो चुका है. इनकी अधिसूचना जारी कर दी गई है.