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एक देश…एक कर … पूरा हुआ जीएसटी का एक वर्ष

 


जीएसटी को लागू हुए पूरा एक वर्ष हो चुका है परंतु छोटे व्यापारियों की माने तो जीएसटी से उनका मासिक खर्चा बढ़ गया है। जीएसटी के लिए सीए और अकाउंटेंट का खर्चा बढ़ गया है जबकि इतनी आमदनी नहीं है।

नई दिल्ली. पिछले वर्ष संसद भवन में 30 जून और 1 जुलाई की दरमियानी रात को प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और सभी पार्टियों के नेता इक_ा हुए थे और रात के 12 बजे एक ऐप के जरिए जीएसटी लागू किया गया। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के नाम से जाने जाने वाले इस टैक्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने गुड एंड सिंपल टैक्स कहा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों के 17 पुराने टैक्स और 23 सेस खत्म कर एक नया टैक्स लगा दिया जो पूरे देश में एक समान ही होना था। उनके अनुसार इसका एक उद्देश्य ये भी था कि आम लोगों पर इसका ज्यादा असर ना पड़े।
एक देश एक कर कही जाने वाली इस प्रणाली को सरकार ने स्वतंत्रता के 70 साल बाद का सबसे बड़ा टैक्स सुधार कहा और प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि भारत की प्रगति का रास्ता इसके साथ जुड़ा है। जीएसटी को लागू हुए रविवार को एक साल पूरा हो गया। ऐतिहासिक कहे जाने वाले इस टैक्स सुधार के लागू होने की खुशी जताने के लिए सरकार 1 जुलाई 2018 को जीएसटी डे मना रही है। पीएम नरेंद्र मोदी का दावा था कि इसका भारत में निवेश करने वालों को फायदा होगा और एक्सपोर्ट बढ़ाने में मदद मिलेगी साथ ही राज्यों में विकास में जो कमी रह गई है उसे पूरा किया जा सकेगा। उम्मीद भी यही रही कि इससे देश में बिजनेस बढ़ेगा और नोटबंदी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को शायद थोड़ा सहारा मिलेगा। हालांकि सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि इसके लागू करने को लेकर शुरुआती समस्याएं आ सकती हैं और कुछ समस्याएं दिखाई भी दीं।
2017 के अंत से पहले ही कई वस्तुओं पर लगाए गए जीएसटी दर को कम किया गया जो इस साल भी जारी रहा। साथ ही ऐसी बातें भी सामने लाने लगी कि पेट्रोल को भी इस दायरे में लाया जाना चाहिए। वित्त मंत्री ने बीते साल दिसबंर में साफ कर दिया कि केंद्र सरकार ऐसा करना चाहती है लेकिन उसे राज्य सरकारों की सहमति का इंतजार है। इन सबके बीच शुक्रवार को वित्त मंत्री ने माना कि जीएसटी लागू करने के पहले साल डायरेक्ट टैक्स पर कोई असर नहीं दिखाई दिया। लेकिन उनका कहना है कि इस साल से इसका असर दिखना शुरू हो गया है पहली तिमाही में पर्सनल इनकम टैक्स की कैटगरी में 44 फीसदी अधिक एडवान्स टैक्स जमा हुआ है। उन्हें उम्मीद है कि जीएसटी का सकारात्मक और दूरगामी असर जरूर दिखेगा और हमें भी उम्मीद है कि नोटबंदी, जीएसटी की मार से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था जो फिलहाल भारतीय मुद्रा के गिरते मूल्य से भी जूझ रही है उसकी स्थिति में सुधार आएगा लेकिन क्या वाकई परिस्थितियां अनुकूल दिखाई पड़ रही हैं। ये गुड एंड सिंपल टैक्स तो नहीं था। आर्थिक सलाहकार रहे डॉक्टर अरविंद सुब्रमण्यम का कहना है कि दुनिया में जिन देशों में भी जीएसटी लागू किया गया है कहीं भी इतना ज्यादा जीएसटी रेट नहीं है। किसी भी और देश में ये 20 फीसदी से अधिक नहीं है। सरकार ने अरविंद सुब्रमण्यम की बात को माना भी है और कहा है कि जीएसटी के तहत जो पांच स्लैब हैं उन्हें कम किया जाएगा। 12 और 18 के स्लैब को मिला कर 15 किए जाने के बारे में विचार हो रहा है। हालांकि वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अभी वो ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि जीएसटी अभी स्थिर नहीं हो पाया है। राज्य और केंद्र में इससे जितने सरकारी राजस्व की उम्मीद थी शायद अभी उतना नहीं आ रहा है। एक आंकड़े के अनुसार एक करोड़ लोगों ने इसके लिए पंजीकरण तो कराया लेकिन 50 फीसदी भी अभी टैक्स नहीं दे रहे हैं। सबसे ज्यादा जरूरत है तकनीक को सरल बनाने की जिसके लिए कार्य चल रहा है। अभी जीएसटी के लागू होने के एक साल बाद भी कई छोटे व्यापारियों का कहना है कि उनकी उतनी आमदनी नहीं है कि वो हर महीने चार्टर्ड अकाउंटेंट और वकीलों को पैसा दें। उनके अनुसार जीएसटी उनका खर्चा ही बढ़ाती है।

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