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देश के कई राज्यों के बीच 1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की होड़

Jaipur. भारत के कई राज्यों ने अपना सकल राज्य घरेलू उत्पाद (gross state domestic product) (जीएसडीपी) 1 लाख करोड़ रुपये करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। कोविड-19 से अर्थव्यवस्था के उबरने के साथ राज्यों में इसके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। इस तरह के प्रतिस्पर्धी संघवाद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2018 में उत्तर प्रदेश सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान प्रोत्साहित किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘क्या महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश एक लाख डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने (becoming a million dollar economy) के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं? क्या उत्तर प्रदेश सरकार अन्य राज्यों से प्रतिस्पर्धा करेगी? अगर राज्यों के बीच ज्यादा प्रतिस्पर्धा होगी तो राज्यों में ज्यादा निवेश आएगा।

2027 या 2030 तक के लिए लक्ष्य

उसके बाद से कई राज्यों ने दावा किया कि वे 1 लाख करोड़ डॉलर के सकल राज्य घरेलू उत्पाद वाला राज्य बनने की ओर बढ़ रहे हैं। कुछ ने 2027 या 2030 तक के लिए यह लक्ष्य रखा है, जबकि कुछ ने कोई नियत तिथि नहीं तय की है। वहीं उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने इस लक्ष्य को हासिल कर सलाहकार भी रखे हैं। सभी लक्ष्य प्रधानमंत्री द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था 5 लाख करोड़ डॉलर करने की दिशा में हैं, जिसे महामारी के कारण 2 साल के लिए टाल दिया गया। यह उम्मीद की जा रही है कि भारत इस लक्ष्य पर 2027 या 2028 तक पहुंच जाएगा।

महाराष्ट्र और तमिनाडु दो राज्य लक्ष्य की ओर

तकनीकी रूप से देखें तो भारत की अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आर्थिक केंद्र वाले 6-7 राज्यों को 1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ना होगा, जिनका जीएसडीपी मिलाकर करीब 4 लाख करोड़ डॉलर हो, जबकि शेष की हिस्सेदारी 1 लाख करोड़ डॉलर की होगी। बेहतर हालत वाले राज्य मील के इस पत्थर को हासिल करने की ओर हैं। महाराष्ट्र और तमिनाडु साफ तौर पर ऐसे दो राज्य जो 1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर हैं।

जीएसडीपी को मिलेगी गति

बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘ये ऐसे राज्य हैं, जिनमें बड़े निवेश आकर्षित करने की क्षमता है। इनसे जीएसडीपी को गति मिलेगी। वहीं 1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य तय करने वाले राज्यों में दो प्रकार के राज्य हैं। महाराष्ट्र और तमिलनाडु, कर्नाडक आदि जैसे राज्यों का पहले ही तुलनात्मक रूप से व्यापक विनिर्माण आधार है। वहीं ओडिशा जैसे राज्य के पास प्राकृतिक संसाधन है, जो अहम भूमिका निभाएगा।

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