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Coin of new private banks will run in banking sector, what is the government's plan

बैंकिंग सेक्टर में नए प्राइवेट बैंकों का चलेगा सिक्का, क्या है सरकार का प्लान

जयपुर। बीते हफ्ते शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) (RBI) के एक आंतरिक समूह ने निजी बैंकों (Private Banks) के मालिकाना हक पर नए नियमों को लेकर कई सिफारिशें की। इन सिफारिशों में सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) को बैंकिंग लाइसेंस देने की वकालत की गई है जिनका असेट 50000 करोड़ रुपये से ज्यादा है और जिनका कम से कम 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड है और साथ ही बड़े औद्योगिक घरानों को भी बैंक चलाने की अनुमति दी जा सकती है।

बहस भी शुरू हो गई

रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) की समिति की सिफारिशें आने के साथ ही बहस भी शुरू हो गई है। लेकिन सबसे मजेदार बात यह है कि ज्यादातर सोशल मीडिया पर चल रही इन बहसों में, जैसा कि आजकल चलन है कि हर मुद्दे को मोदी सरकार (Modi Government) पर जनमत सर्वेक्षण की शक्ल दे दी जाती है, इन सिफारिशों को अंबानी (Ambani) और अडाणी (Adani) के लिए बैंकिंग का रास्ता खोलने की मोदी सरकार की साजिश जैसा पेश किया जा रहा है।

1993 में ही निजी क्षेत्र के लिए खोले थे दरवाजे

यह हास्यास्पद है क्योंकि 1980 में इंदिरा गांधी द्वारा 23 बैंकों के राष्ट्रीयकरण से देश के बैंकिंग सेक्टर से निजी क्षेत्र को देश निकाला देने के 13 साल बाद 1993 में ही एक बार फिर इसके दरवाजे निजी क्षेत्र के लिए खोल दिए गये थे। उसी के बाद देश में HDFC बैंक, ICICI बैंक, एक्सिस बैंक जैसे मजबूत बैंक अस्तित्व में आए, जिन्होंने न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में अपना योगदान दिया है, बल्कि सरकारी बैंकों के मुकाबले बहुत ही कम डूबे कर्ज (NPA) के साथ भारत के बैंकिंग सेक्टर को ढांचागत सुदृढ़ता भी प्रदान की है। इसलिए सबसे पहले तो यह भ्रम ही दूर करने की आवश्यकता है कि शुक्रवार को सामने आई RBI की आंतरिक समिति की सिफारिशों से कोई आसमान सिर पर गिरने वाला है।

बडे औद्योगिक घराने वर्षों से बैंक खोलने की महत्वाकांक्षा पाले बैठे

फिर सवाल यही है कि इन सिफारिशों से क्या बदलेगा? RBI नए बैंकिंग लाइसेंस देने में काफी रूढ़िवादी रहा है और भारत में किसी औद्योगिक घराने को बैंक चलाने की अनुमति मिलना कोई सामान्य बात नहीं है। कोटक महिंद्रा बैंक के अलावा सीधे तौर पर इस श्रेणी में कोई बैंक नहीं है। हालांकि सच यह भी है कि बजाज, टाटा, बिड़ला, अंबानी, श्रीराम सहित कई ऐसे औद्योगिक घराने हैं जो वर्षों से बैंक खोलने की कारोबारी महत्वाकांक्षा पाले बैठे हैं। लेकिन ये सभी घराने कई कंपनियां चलाते हैं और RBI के सामने सबसे बड़ी मुश्किल ऐसा फुल प्रूफ रेगुलेशन तैयार करना है जिससे ये कारोबारी घराने आम आदमी के जमा किए गये रुपये अपने ही ग्रुप की कंपनियों को कर्ज के तौर पर बांटना न शुरू कर दें।

घराने के संबंधों को लेकर भी RBI सशंकित

साथ ही अन्य बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के साथ इन घराने के संबंधों को लेकर भी RBI सशंकित रहा है। इसीलिए शुक्रवार को की गई सिफारिशों में बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 में संशोधन को पूर्व शर्त के तौर पर रखा गया है। यानी बिना इस संशोधन के कोई भी सिफारिश वैध नहीं होगी।

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