मुंबई। 2019 में मांग कमजोर पडऩे के कारण बाजार से रुखसत हो चुके छोटे एमफएमसीजी ब्रांड लॉकडाउन के बीच एक बार फिर बाजार में लौट रहे हैं। बाजार पर शोध करने वाली एजेंसी नीलसन के अनुसार मार्च में करीब 152 नए ब्रांडों ने स्वच्छता या हाइजीन के बाजार में दस्तक दी है। कोविड-19 संकट को देखते हुए इस श्रेण्ी के कई दूसरे ब्रांड भी बाजार में आ सकते हैं।
सभी छोटी कंपनियों की बढी हिस्सेदारी
नीलसन में दक्षिण एशिया अध्यक्ष प्रसून बसु ने कहा कि स्वच्छता ही नहीं बल्कि खाद्य उत्पाद की श्रेणी में भी छोटे और स्थानीय ब्रांडों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। बसु ने कहा, ‘उदाहरण के लिए पैकेटबंद चावल के बाजार में छोटी और स्थानीय कंपनियों की हिस्सेदारी मार्च में बढ़कर 36 फीसदी हो गई, जो जनवरी में 29 फीसदी ही थी।’
हैंड सैनिटाइजर में छोटे ब्रांडों की हिस्सेदारी 61 फीसदी
हैंड सैनिटाइजर के बाजार में छोटे ब्रांडों की हिस्सेदारी मार्च में 61 फीसदी तक पहुंच गई, जो जनवरी में केवल 15 फीसदी थी। इस बाजार में बड़े ब्रांडों की हिस्सेदारी मार्च में घट गई। नीलसन के आंकड़ों के अनुसा हैंड सैनिटाइजर उत्पाद बाजार में बड़े ब्रांड केवल 39 फीसदी हिस्से पर काबिज थे, जबकि जनवरी में उनकी 85 फीसदी हिस्सेदारी थी।
ब्रांडों का बाजार मार्च में बढ़ा
खानपान और एफएमसीजी की श्रेणियों में स्थानीय ब्रांडों की पैठ बढ़ गई है। बसु ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक वस्तुओं की अधिक जरूरत महसूस होने के कारण स्थानीय ब्रांड मैदान में कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा,’हालांकि लॉकडाउन के बीच आपूर्ति से जुड़ी बाधाओं का सामना सभी को करना पड़ा है, लेकिन स्थानीय ब्रांड मांग पूरी करने के लिए तेजी से आगे आए हैं। यही वजह है कि इन ब्रांडों का बाजार मार्च में बढ़ा है।’
मार्के की बात यह भी है
आपूर्ति सुगम होने पर शीर्ष ब्रांड भी बाजार में लौट रहे हैं। सरकार ने आवश्यक सामान के साथ ही कम जरूरी सामान के परिवहन के नियमों में भी छूट दे दी है। आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए श्रमिकों की आवाजाही की भी इजाजत दे दी गई है। ऐसे में ज्यादातर बड़े ब्रांड धीमी गति से लेकिन लगातार अपनी क्षमता का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं।
वितरण तंत्र पर ग्रामीण क्षेत्रों में जोर
डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा,’हमें लगता है कि वितरण तंत्र पर ग्रामीण क्षेत्रों में खास तौर पर जोर दिया जाएगा। इससे काफी मदद मिलेगी क्योंकि लॉकडाउन की वजह से छोटे स्टॉकिस्ट ग्रामीण क्षेत्रों में काम नहीं कर पा रहे थे।’